हरिद्वार। श्रीगंगा भक्ति आश्रम हरिद्वार एवं श्रीयमुना बिहारी आश्रम वृंदावन के परमाध्यक्ष श्री महंत स्वामी कमलेशानंद सरस्वती जी ने कहा है कि शक्ति की उपासना से दैवीय शक्तियां ऊर्द्धगामी हो जाती हैं और शारदीय नवरात्र में जो भक्त मां आदि शक्ति के 9 स्वरूपों की पूजा अर्चना कर पूर्णाहुति के रूप में नौ अथवा 108कन्याओं का पूजन करते हैं,उनके परिवार सदैव खुशहाल रहते हैं। वे आज अपने पूज्य सद्गुरुदेव भक्ति पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन स्वामी राघवानंद सरस्वती जी महाराज की दूसरी पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में नवरात्र साधना अनुष्ठान में पधारे भक्तों को आशीर्वचन दे रहे थे। सनातन धर्म को जीवनोपयोगी पर्वों का गुलदस्ता बताते हुए स्वामी कमलेशानंद सरस्वती जी ने कहा कि ऋतु परिवर्तन के साथ जलवायु परिवर्तन होता है जिससे मानव तन एवं दिनचर्या प्रभावित होती है,इसीलिए हमारे ऋषि मुनियों ने शरद ऋतु तथा ग्रीष्म ऋतु के आगमन से पूर्व नौ-नौ दिनों के व्रत साधना एवं संयमित दिनचर्या का विधान बनाया है। जो भी साधक दोनों नवरात्रों में व्रत एवं साधना का पालन करते हैं उनका शरीर स्वस्थ और चित्त प्रसन्न रहता है। कलश स्थापना के बाद 15 से 23 अक्टूबर तक चलने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर से श्रीरामचरितमानस के अखंड पाठ का शुभारंभ तथा 22 अक्टूबर को अखंड पाठ की पूर्णाहुति होगी। 23 अक्टूबर दिन सोमवार को नवरात्र अनुष्ठान की पूर्णाहुति पर विश्व कल्याण महायज्ञ तथा कन्या पूजन एवं गुरु पूजा के साथ ही संत दर्शन एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा और पूज्य सदगुरुदेव के प्रेरणा प्रसाद रूपी विशाल भंडारे का आयोजन होगा जिसमें उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड,दिल्ली,पंजाब,हरियाणा सहित भारत के अनेक प्रांतो से अनुयायी कन्या पूजन कर पुण्यलाभ अर्जित करेंगे।
हरिद्वार। श्रीगंगा भक्ति आश्रम हरिद्वार एवं श्रीयमुना बिहारी आश्रम वृंदावन के परमाध्यक्ष श्री महंत स्वामी कमलेशानंद सरस्वती जी ने कहा है कि शक्ति की उपासना से दैवीय शक्तियां ऊर्द्धगामी हो जाती हैं और शारदीय नवरात्र में जो भक्त मां आदि शक्ति के 9 स्वरूपों की पूजा अर्चना कर पूर्णाहुति के रूप में नौ अथवा 108कन्याओं का पूजन करते हैं,उनके परिवार सदैव खुशहाल रहते हैं। वे आज अपने पूज्य सद्गुरुदेव भक्ति पीठाधीश्वर ब्रह्मलीन स्वामी राघवानंद सरस्वती जी महाराज की दूसरी पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में नवरात्र साधना अनुष्ठान में पधारे भक्तों को आशीर्वचन दे रहे थे। सनातन धर्म को जीवनोपयोगी पर्वों का गुलदस्ता बताते हुए स्वामी कमलेशानंद सरस्वती जी ने कहा कि ऋतु परिवर्तन के साथ जलवायु परिवर्तन होता है जिससे मानव तन एवं दिनचर्या प्रभावित होती है,इसीलिए हमारे ऋषि मुनियों ने शरद ऋतु तथा ग्रीष्म ऋतु के आगमन से पूर्व नौ-नौ दिनों के व्रत साधना एवं संयमित दिनचर्या का विधान बनाया है। जो भी साधक दोनों नवरात्रों में व्रत एवं साधना का पालन करते हैं उनका शरीर स्वस्थ और चित्त प्रसन्न रहता है। कलश स्थापना के बाद 15 से 23 अक्टूबर तक चलने वाले कार्यक्रमों की जानकारी देते हुए उन्होंने बताया कि 21 अक्टूबर से श्रीरामचरितमानस के अखंड पाठ का शुभारंभ तथा 22 अक्टूबर को अखंड पाठ की पूर्णाहुति होगी। 23 अक्टूबर दिन सोमवार को नवरात्र अनुष्ठान की पूर्णाहुति पर विश्व कल्याण महायज्ञ तथा कन्या पूजन एवं गुरु पूजा के साथ ही संत दर्शन एवं श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया जाएगा और पूज्य सदगुरुदेव के प्रेरणा प्रसाद रूपी विशाल भंडारे का आयोजन होगा जिसमें उत्तर प्रदेश,उत्तराखंड,दिल्ली,पंजाब,हरियाणा सहित भारत के अनेक प्रांतो से अनुयायी कन्या पूजन कर पुण्यलाभ अर्जित करेंगे।
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