देहरादून/हरिद्वार। हर 6सेकंड में एक व्यक्ति स्ट्रोक के विनाशकारी परिणामों का शिकार होता है। अक्सर, चिकित्सा सहायता लेने में देरी के परिणामस्वरूप स्ट्रोक के घातक स्थिति से इसके इलाज में गंभीर समस्याएँ आ जाती हैं। विश्व स्ट्रोक दिवस के मौके पर,जो हर साल 29 अक्टूबर को मनाया जाता है। मैक्स अस्पताल देहरादून का उद्देश्य है स्ट्रोक के लक्षणों के बारे में जागरूकता बढ़ाना और एक विशेषज्ञ चिकित्सा सुविधा से समय पर सहायता प्राप्त करने के महत्व के बारे मेंजागरूकता बढ़ाना है। मैक्स हॉस्पिटल देहरादून में न्यूरोलॉजी के निदेशक डॉ.शमशेर द्विवेदी ने कहा,“भारत में प्रतिवर्ष लगभग 18लाख स्ट्रोक स्ट्रोक के मामले सामने आते हैं। स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति में रुकावट का परिणाम है,जिसके परिणामस्वरूप अचानक न्यूरोलॉजिकल कमी हो जाती है। इन लक्षणों में अचानक कमजोरी, सुन्नपन,चक्कर,असंतुलन,दृष्टि समस्याएँ,अचानक भ्रम और बोलने में कठिनाइयाँ शामिल हैं। स्ट्रोक का महत्वपूर्ण पहलू यह है कि यह अचानक प्रारंभ होता है और इन अचानक लक्षणों की पहचान के लिए यह महत्वपूर्ण है कि कार्रवाई कार्यकुशल रूप से की जाए।स्ट्रोक मुख्य रूप से दो प्रकार के होते हैं-इस्केमिक और हेमोरेजिक स्ट्रोक। इस्केमिक स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त की आपूर्ति में व्यवधान होता है,हेमोरेजिक स्ट्रोक मस्तिष्क में रक्त के रिसाव के कारण होता है,जो रक्त वाहिका के फटने के कारण होता है। आम धारणा के विपरीत,स्ट्रोक न केवल बुजुर्गों को बल्कि युवा आबादी को भी प्रभावित करता है। स्ट्रोक के लिए कोई उम्र सीमा नहीं है,लगभग 10-15 स्ट्रोक 45वर्ष से कम उम्र के व्यक्तियों में होते हैं,जिनमें बच्चे भी शामिल हैं। स्ट्रोक के सामान्य जोखिम कारकों में उच्च रक्तचाप,मधुमेह,एथेरोस्क्लेरोसिस, धूम्रपान,शारीरिक क्रियाये न करना वाली जीवन शैली,अत्यधिक शराब का सेवन,एट्रियल फाइब्रिलेशन,एलवी डिसफंक्शन,मोटापा,ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया,आनुवंशिकी और कुछ पर्यावरणीय कारक शामिल हैं,”डॉ द्विवेदी ने कहा। विस्तार से बताते हुए, न्यूरोसर्जन मैक्स हॉस्पिटल देहरादून के प्रमुख सलाहकार डॉ आनंद मोहन ठाकुर ने जोर देकर कहा,‘‘हृदय के धमनियों में कोलेस्ट्रॉल जमाव की तरह ही गर्दन या मस्तिष्क की धमनियों में जमाव स्ट्रोक का कारण बनते हैं,,विशेष रूप से इंट्राक्रैनियल एथेरोस्क्लेरोसिस जो कि है भारतीयों और एशियाई लोगों के बीच अधिक प्रसारित है।““हेमोरेजिक स्ट्रोक,जो मस्तिष्क के भीतर रक्त के रिसाव के कारण होता है,के परिणामस्वरूप अचानक गंभीर सिरदर्द, चेतना की हानि या दौरे पड़ सकते हैं। उच्च रक्तचाप या धमनी दीवार में असामान्यताएं ऐसे मामलों में सामान्य कारण हैं। स्ट्रोक के मरीज के ठीक होने की संभावना बढ़ाने के लिए समय पर उपचार सबसे महत्वपूर्ण होता है क्योंकि समय पर थक्का हटाने से दीर्घकालिक विकलांगता और मृत्युदर को कम किया जा सकता है। यदि उपचार में देरी होती है,तो इसके परिणाम स्वरूप बोलने की क्षमता पूरी तरह खत्म हो सकती है,शरीर के दाहिनी ओर की कमजोरी हो सकती है,या शरीर के एक हिस्से की उपेक्षा हो सकती है,जिससे अधिक स्थायी विकलांगता और उच्च मृत्यु दर हो सकती है,”डॉ.ठाकुर ने कहा। मैक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल देहरादून व्यक्तियों से स्ट्रोक के लक्षणों को पहचानने और समय पर उपचार लेने का आग्रह करता है। अस्पताल‘‘स्पॉट स्ट्रोक,स्टॉप स्ट्रोक‘‘ को प्रोत्साहित करता है,जो सभी को याद दिलाता है कि स्ट्रोक की आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई महत्वपूर्ण है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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