हरिद्वार। ब्रह्मलीन स्वामी हरिद्वारी दास महाराज की पुण्यतिथि पर गंगा भोगपुर तल्ला गौरी घाट स्थित विंध्यावासिनी मंदिर में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में संत समाज ने उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। महंत विंध्यवासिनी महाराज के संयोजन में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए स्वामी आदियोगी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन हरिद्वारी दास महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत व धर्म व सेवा की प्रतिमूर्ति थे। धर्म शास्त्रों का उनका ज्ञान विलक्षण था। महंत विंध्यवासिनी महाराज भाग्यशाली हैं कि उन्हें स्वामी हरिद्वारी दास महाराज जैसे दिव्य महापुरूष का सानिध्य प्राप्त हुआ। महंत विंघ्यवासिनी महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज को सांस्कृतिक रूप से एकजुट कर देश की एकता अखण्डता कायम रखने में संत समाज का हमेशा ही अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि सभी को ब्रह्मलीन स्वामी हरिद्वारी दास महाराज के जीवन से प्रेरणा लेते हुए धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान करना चाहिए। इस अवसर पर स्वामी शिवानंद भारती,महंत दुर्गादास,स्वामी चिदविलासानंद,स्वामी रविदेव शास्त्री,स्वामी हरिहरानंद,स्वामी दिनेश दास,महंत निर्मल दास,बाबा हठयोगी,स्वामी ऋषिश्वरानंद,महंत प्रबोधानंद गिरी,स्वामी आदियोगी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
हरिद्वार। ब्रह्मलीन स्वामी हरिद्वारी दास महाराज की पुण्यतिथि पर गंगा भोगपुर तल्ला गौरी घाट स्थित विंध्यावासिनी मंदिर में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह में संत समाज ने उनका भावपूर्ण स्मरण करते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। महंत विंध्यवासिनी महाराज के संयोजन में आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को संबोधित करते हुए स्वामी आदियोगी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन हरिद्वारी दास महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत व धर्म व सेवा की प्रतिमूर्ति थे। धर्म शास्त्रों का उनका ज्ञान विलक्षण था। महंत विंध्यवासिनी महाराज भाग्यशाली हैं कि उन्हें स्वामी हरिद्वारी दास महाराज जैसे दिव्य महापुरूष का सानिध्य प्राप्त हुआ। महंत विंघ्यवासिनी महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि समाज को सांस्कृतिक रूप से एकजुट कर देश की एकता अखण्डता कायम रखने में संत समाज का हमेशा ही अहम योगदान रहा है। उन्होंने कहा कि सभी को ब्रह्मलीन स्वामी हरिद्वारी दास महाराज के जीवन से प्रेरणा लेते हुए धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान करना चाहिए। इस अवसर पर स्वामी शिवानंद भारती,महंत दुर्गादास,स्वामी चिदविलासानंद,स्वामी रविदेव शास्त्री,स्वामी हरिहरानंद,स्वामी दिनेश दास,महंत निर्मल दास,बाबा हठयोगी,स्वामी ऋषिश्वरानंद,महंत प्रबोधानंद गिरी,स्वामी आदियोगी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु मौजूद रहे।
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