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सनातन धर्म अक्षुण्ण रहा है और अक्षुण्ण रहेगा-स्वामी राजराजेश्वराश्रम

 शिव पुत्र भगवान कार्तिकेय की आराधना से होती है यश व कीर्ति की प्राप्ति-श्रीमहंत रविंद्रपुरी

निरंजनी अखाड़े में धूमधाम से मनायी गयी भगवान कार्तिकेय जयंती


हरिद्वार। तपोनिधि श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी के आराध्य एवं इष्ट देव भगवान कार्तिकेय की जयंती अखाड़े में श्रद्धा,उल्लास व धूमधाम के साथ मनायी गयी। अखाड़ा परिषद एवं मनसादेवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज के संयोजन व जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में संतों व श्रद्धालुओं ने भगवान कार्तिकेय की पूजा अर्चना कर लोक कल्याण की कामना की। अखाड़े के संतों ने आतिशबाजी कर एक दूसरे को कार्तिकेय जयंती की शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम के दौरान उपस्थित श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देते हुए शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम महाराज ने अयोध्या में निर्मित हुए भगवान श्रीराम के मंदिर में 22जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के अवसर को भव्यरूप से मनाने का आह्वान किया। स्वामी राजराजेश्वराश्रम ने कहा कि सनातन धर्म अक्षुण्ण रहा है और हमेशा अक्षुण्ण रहेगा। हर्ष का विषय है हिन्दुत्व का जागरण हो रहा है। उन्होंने कहा कि सनातन धर्म को संस्कारित करने के प्रयासों में जुटे श्रीमहंत रविंद्रपुरी ने कोराना काल में भी जरूरतमंदों की सेवा में अहम योगदान दिया। निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी ने सभी को कार्तिकेय जयंती की बधाई देते हुए कहा कि परम ज्ञानी और परम साधक भगवान कार्तिकेय भक्तों की सभी इच्छाएं पूर्ण करते हैं। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत रविंद्रपुरी अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के दायित्व को निभाते हुए समाज को एकजुट कर सनातन धर्म पंरपरांओं को मजबूत कर रहे हैं। जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेमगिरी महाराज ने कार्तिकेय जंयती की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि आदि गुरू शंकराचार्य ने अखाड़ों की स्थापना की और धर्म रक्षा के लिए शास्त्र और शस्त्र दोनों को अपनाने का आहवान किया। स्थापना के बाद से ही धर्म रक्षा के लिए अखाड़े इस दायित्व को निभा रहे हैं। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद, महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी,महामंडलेश्वर संतोषी माता,महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती,पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने भी सभी को कार्तिकेय जंयती की शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम में शामिल हुए संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि शिव पुत्र भगवान कार्तिकेय की आराधना से सुख समृद्धि, यश व कीर्ति की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि धर्म रक्षा में अखाड़ों का हमेशा ही अहम योगदान रहा है। जब-जब राष्ट्र और धर्म पर संकट आया, अखाड़ों ने आगे बढ़कर अपने दायित्व को निभाते हुए राष्ट्र और धर्म की रक्षा की। सनातन धर्म संस्कृति की रक्षा के साथ अखाड़े विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से समाज के कमजोर और जरूरतमंद वर्ग की सेवा में भी सहयोग कर रहे हैं। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी,केशवपुरी महाराज,राधेगिरी महाराज,डा.सुनील बत्रा ने सभी संत महापुरूषों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। कार्यक्रम में डा.रेणु और अंकित मल्होत्रा ने भजन प्रस्तुत किए। इस अवसर पर महंत केशवपुरी,महंत गोविंदपुरी,स्वामी रविपुरी ,दिगम्बर स्वामी गंगा गिरी,महंत राजगिरी,महंत बलवीर गिरी,स्वामी रवि वन,महंत सुखदेव पुरी, महंत राजेंद्र भारती,महंत गोविंद दास,महंत राघवेंद्र दास,महंत सूरजदास,महंत नारायण दास पटवारी,सतपाल ब्रह्मचारी,स्वामी शुभम गिरी,महंत बिहारी शरण,महंत अंकित शरण,स्वामी चिद विलासानंद,स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी,महंत संपूर्णानंद,विनोद महाराज,महंत राधेगिरी,महंत गंगादास,डा.विशाल गर्ग,भोला शर्मा सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे। 


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