भारत रत्न महामना मदन मोहन मालवीय जी द्वारा अविभाजित भारत के लाहौर शहर में सन् 1923 में श्री सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा (पंजाब) की स्थापना की गई थी। उत्तर पश्चिम भारत के समस्त प्रदेशों एवं नगरों की समस्त स्थानीय सनातन धर्म सभाओं को संगठनात्मक स्तर पर एक सूत्र में पिरोने के लिए एक केंद्रीय शक्ति के रूप में महामना मालवीय जी ने सनातन धर्म प्रतिनिधि सभा(पंजाब) की स्थापना की थी, जिसका संचालन उनके एकमात्र मंत्र दीक्षित शिष्य त्यागमूर्ति गोस्वामी गणेश दास जी महाराज 1959 तक करते रहे हैं। वर्तमान में प्रतिनिधि सभा के अंतर्गत पंजाब, हरियाणा, हिमाचल,जम्मू कश्मीर, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश, दिल्ली व चंडीगढ़ आदि सात राज्यों एवं दो केंद्र शासित प्रदेशों की 150 से अधिक सनातन धर्म सभाएं एवं 100 से अधिक शिक्षा संस्थान सम्मिलित हैं। शिक्षा संस्थानों के स्वतंत्र रूप में संचालन का कार्य प्रतिनिधि सभा की सहयोगी संस्था सनातन धर्म शिक्षा समिति चंडीगढ़ कर रही है। अनेक धार्मिक स्थलों, शक्तिपीठों, कुंभ, कपाल मोचन तथा सूर्य ग्रहण मेलों और तीर्थों पर आयोजित धार्मिक समारोहों के प्रबंधन का कार्य श्री सनातन धर्म महावीर दल करता है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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