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भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है - उपराष्ट्रपति

 अनर्गल कारणों से हमारी संस्कृति,हमारी विकास यात्रा को कलंकित करने में जुटे है-धनखड़

वेद विज्ञान और संस्कृति महाकुंभ का जगदीप धनखड़ ने किया शुभारम्भ 


हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी समविवि में महर्षि दयानंद सरस्वती की 200वीं जयंती और स्वामी श्रद्धानंद बलिदान दिवस पर वेद विज्ञान और संस्कृति महाकुंभ का शुभारंभ करते उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय हमारी सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और सृजन का प्रमुख केंद्र है। उन्होंने उपस्थित शिक्षकों और छात्रों से कहा कि वह एक प्रेरणा के स्रोत हैं, राष्ट्रवादी चेतना और चिंतन के केंद्र हैं। कुछ पश्चिमी विश्वविद्यालय अनर्गल कारणों से हमारी संस्कृति और हमारी विकास यात्रा को कलंकित करने में लगे हैं। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय में आयोजित कार्यक्रम ‘‘वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुंभ’’में राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) एवं मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी शामिल हुये। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय संस्कृति और राष्ट्रवाद के प्रणेता इन मनीषियों की पावन स्मृति में आयोजित यह महाकुंभ, उनके महान जीवन के प्रति हमारी विनम्र श्रद्धांजलि है। इस महाकुंभ के माध्यम से वेद विज्ञान को सशक्त करने का महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। कुछ पश्चिमी विश्व विद्यालय अनर्गल कारणों से हमारी संस्कृति और हमारी विकास यात्रा को कलंकित करने में लगे हुए हैं। कहा कि आपकी विद्वता,संकल्प को देखते हुए इस बात में तनिक भी संदेह नहीं कि भारत की संस्कृति कभी नीचे नहीं होगी आपको उनका प्रतिकार करना चाहिए। कहा कि इस महान देश में कुछ गिने चुने लोग हैं जो भारत की प्रगति को पचा नहीं पा रहे हैं। आप उनकी पाचन शक्ति को ठीक कीजिए। ज्यादा से ज्यादा लोगों को वेदों से अवगत कराने पर बल देते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारे राष्ट्र-निर्माण के लिए और विश्व के स्थायित्व के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। नई शिक्षा नीति को हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप बताते कहा कि हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए। भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म। भारतीय ज्ञान परंपरा और वैदिक ज्ञान-विज्ञान पर विमर्श को बढ़ाने की आवश्यकता पर बल देते उन्होंने कहा कि वेद विज्ञान महाकुंभ का यह पर्व हमें हमारे प्राचीन ज्ञान और विज्ञान के प्रति गर्व महसूस करने का एक अवसर प्रदान करता है। उन्होंने जोर दिया कि हम अक्सर भूल जाते हैं कि हम कौन हैं लेकिन यदि थोड़ा अंदर झांकेंगे तो पता लगेगा कि विश्व में हमारा मुकाबला करने वाला और कोई देश नहीं है। उपराष्ट्रपति ने विश्वास व्यक्त किया कि 2047 तक भारत न सिर्फ विकसित राष्ट्र होगा बल्कि विश्व गुरु की अपनी प्रतिष्ठा को फिर से हासिल करेगा। उन्होंने कहा कि उनके सामने जो छात्र-छात्राएं हैं,वह 2047 के भारत के योद्धा हैं और निश्चित रूप से सफलता अर्जित करेंगे। उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीयता हमारी पहचान है और राष्ट्रवाद हमारा परम धर्म है, हमारी नई शिक्षा नीति हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के अनुरूप है,हर भारतवासी को अपनी संस्कृति और विरासत पर गौरव अनुभव करना चाहिए। उपराष्ट्रपति ने कहा जो हमारी संस्कृति के विरोध में है राष्ट्रवाद के विरोध में है हमारे अस्तित्व के विरोध में है उन पर प्रतिघात होना चाहिए,भारतीय ज्ञान परंपरा और वैदिक ज्ञान विज्ञान का एकेडमिक विमर्श और अनुप्रयोग का अनिवार्य अंग बनाने के यह एक सार्थक प्रयास है। अंतरिक्ष में भारत की बढ़ती ताकत का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमने 23 अगस्त को यह घोषणा की कि 23 अगस्त को राष्ट्रीय अंतरिक्ष दिवस के रूप में मनाया जाएगा क्योंकि भारत वह पहला देश है जिसने की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रूव पर चंद्रयान-3 को उतारा है यह सिर्फ अकेला देश है ऐसा करने वाला जिसने इतिहास रच दिया है, अब वहां शिव शक्ति पॉइंट भी है और तिरंगा पॉइंट भी है। भारत आज तेज गति से विकास यात्रा पर आगे बढ़ रहा है और यह अब बढ़त अजेय है। मान का भाव रखते हैं।भारत की महान छवि को धूमिल करने में लगे रहते हैं। उनके हर कुप्रयास को कुंठित करना हर भारतीय का परम दायित्व है और कर्त्तव्य है। उपराष्ट्रपति ने कहा जो हमारी संस्कृति के विरोध में है राष्ट्रवाद के विरोध में है हमारे अस्तित्व के विरोध में है उन पर प्रतिघात होना चाहिए। भारतीय ज्ञान परंपरा और वैदिक ज्ञान विज्ञान का एकेडमिक विमर्श और अनुप्रयोग का अनिवार्य अंग बनाने के यह एक सार्थक प्रयास है।
पीएम मोदी के पंच प्रण के आह्वान का किया जिक्र
हरिद्वार। उपराष्ट्रपति ने अपने अभिभाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले से किए गए पंच प्रण के आह्वान का जिक्र किया। कहा कि आने वाले 25 साल के लिए देश को पंच प्रण पर अपनी शक्ति और संकल्पों को केंद्रित करना चाहिए। आप इसकी सार्थक शुरुआत कीजिए। कहा हमें गुलामी की हर सोच से मुक्ति का प्रयास करना चाहिए क्योंकि कुछ लोग अभी भी अंग्रेजियत के गुलाम हैं। इस संदर्भ में हालिया संसद सत्र में पारित तीन नए कानूनों- भारतीय न्याय संहिता विधेयक, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक को ऐतिहासिक बताया। कहा कि अंग्रेजी कानूनों ने हमें जकड़ रखा था। हमारे लोग पिस रहे थे क्योंकि उन कानूनों का उद्देश्य था दंड विधान। भारत की संसद में प्रधानमंत्री की प्रेरणा से दंड विधान को न्याय विधान किया है। यह बहुत ही महत्वपूर्ण है। 


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