हरिद्वार। विश्व एड्स दिवस के अवसर पर इएमए इंडिया के केन्द्रीय कार्यालय बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिकल साइंस एंड कैंसर रिसर्च सेंटर अलीपुर बहादराबाद में एड्स से बचाव एवं जागरूकता पर गोष्ठी आयोजित की गई। गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए डा.केपीएस चौहान ने कहा कि प्रति वर्ष एक दिसंबर को एड्स रोग से बचाव एवं जागरूकता लाने के लिए यह दिन मनाया जाता है। सर्व प्रथम 1920 में अफ्रीका में यह बीमारी पायी गयी थी। विश्व में पहला एड्स दिवस 1988 में मनाया गय। डा.चौहान ने बताया कि एड्स को एकवयारड इम्यूनो डैफिसिऐंसी सिंड्रोम कहते है,एचआईवी (हयूमैन इम्यूनो डैफिसिऐंसी वायरस) के संक्रमण से फैलता है। इसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता क्षीण हो जाती है। रोगी का सम्पूर्ण लिम्फेटिक सिस्टम खराब हो जाता है। इसमें रोगी को भूख न लगना,सूखी खांसी,बुखार रहना,कमजोरी,चक्कर,रात्रि में पसीना आना,जी मिचलाना,उल्टी,पतले दस्त होना जिव्हा पर सफेद परत जमना,निगलने में कष्ट,मुह में जख्म, गले में दर्द, सिर दर्द,सूजन, वजन कम होना,त्वचा पर दाने,लिमफनोड में सूजन, लाल चकत्ते होना आदि लक्षण पाए जाते हैं। डा.चौहान ने कहा कि हमें स्वयं तथा समाज को एड्स से बचाना है। इस संक्रमण से बचने के लिए हमें संक्रांमित व्यक्ति के रक्त का आदान प्रदान, संक्रमित सुईं, संक्रमित सैक्स से बचना चाहिए तथा इम्यूनिटी बढ़ाने वाला पौष्टिक आहार लेना चाहिए। ध्यान रहे कि एड्स चुम्बन से, संक्रमित व्यक्ति के साथ भोजन करने से,साथ रहने से नही फैलता है। गोष्ठी में डा.वीएल अलखानिया,डा.ऋचा आर्य,डा.कमलेश शर्मा,डा.एमटी अंसारी,डा.बीबी कुमार,डा.हरबंश सिंह, लक्ष्मी कुशवाहा,शमां परवीन,मंजुला होलकर,हीना कुशवाहा,शिवांगी कल्याण,रूदाक्षी आर्य,विनीत सहगल ,साहिल कश्यप,विकास कुमार,जय प्रकाश,मेनका,यशपाल,मैनपाल,शशिभूषण,रितिका आदि मौजूद रहे।
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