हरिद्वार। भारतीय किसान मजदूर उत्थान यूनियन के राष्ट्रीय युवा उपाध्यक्ष अरबाज अली ने उत्तराखंड सरकार द्वारा गन्ने के समर्थन मूल्य में 20रूपये की मामूली बढ़ोतरी को नाकाफी बताया है। प्रैस को जारी बयान में अरबाज अली ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस साल हुई अतिवृष्टि के कारण गन्ने की फसल को हुए नुकसान के बारे में सोचना चाहिए था। लेकिन राज्य सरकार द्वारा गन्ने का समर्थन मूल्य 375रूपये प्रति कुंटल घोषित किया गया जो कि बहुत कम है। गन्ने का समर्थन मूल्य 400रूपये प्रति कुंटल घोषित किया जाना चाहिए थ। अरबाज अली ने कहा कि इस बार प्रदेश के गन्ना किसानो को अत्यधिक वर्षा होने के कारण भारी मात्रा में नुकसान पहुंचा है। कई इलाकों में तो गन्ने काी सारी फसल ही चौपट हो गई, तो कहीं पैदावार काफी कम हुई। ऐसे में 20रूपये की बढ़ोतरी बेहद कम है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को किसानों की कोई चिंता नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के नेता इस मामूली सी बढ़ोतरी की ऐसे सराहना कर रहे है जैसे उन्होंने किसानों को समृद्ध बना दिया हो। लेकिन वास्तव में गन्ना किसानों की लागत भी वसूल होनी मुश्किल है। प्रदेश के किसान प्रमुख रूप से गन्ने की फसल पर ही निर्भर रहते हैं। इस बार प्रदेश में गन्ने की फसल खराब हुई है। प्रदेश सरकार को किसानों की आर्थिक स्थिति को समझना चाहिए था और उनकी समस्याओं को भी ध्यान में रखना चाहिए था। लेकिन राज्य सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति और समस्याओं को दरकिनार करते हुए गन्ने का समर्थन मूल्य घोषित किया है।
हरिद्वार। भारतीय किसान मजदूर उत्थान यूनियन के राष्ट्रीय युवा उपाध्यक्ष अरबाज अली ने उत्तराखंड सरकार द्वारा गन्ने के समर्थन मूल्य में 20रूपये की मामूली बढ़ोतरी को नाकाफी बताया है। प्रैस को जारी बयान में अरबाज अली ने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इस साल हुई अतिवृष्टि के कारण गन्ने की फसल को हुए नुकसान के बारे में सोचना चाहिए था। लेकिन राज्य सरकार द्वारा गन्ने का समर्थन मूल्य 375रूपये प्रति कुंटल घोषित किया गया जो कि बहुत कम है। गन्ने का समर्थन मूल्य 400रूपये प्रति कुंटल घोषित किया जाना चाहिए थ। अरबाज अली ने कहा कि इस बार प्रदेश के गन्ना किसानो को अत्यधिक वर्षा होने के कारण भारी मात्रा में नुकसान पहुंचा है। कई इलाकों में तो गन्ने काी सारी फसल ही चौपट हो गई, तो कहीं पैदावार काफी कम हुई। ऐसे में 20रूपये की बढ़ोतरी बेहद कम है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार को किसानों की कोई चिंता नहीं है। भारतीय जनता पार्टी के नेता इस मामूली सी बढ़ोतरी की ऐसे सराहना कर रहे है जैसे उन्होंने किसानों को समृद्ध बना दिया हो। लेकिन वास्तव में गन्ना किसानों की लागत भी वसूल होनी मुश्किल है। प्रदेश के किसान प्रमुख रूप से गन्ने की फसल पर ही निर्भर रहते हैं। इस बार प्रदेश में गन्ने की फसल खराब हुई है। प्रदेश सरकार को किसानों की आर्थिक स्थिति को समझना चाहिए था और उनकी समस्याओं को भी ध्यान में रखना चाहिए था। लेकिन राज्य सरकार ने किसानों की आर्थिक स्थिति और समस्याओं को दरकिनार करते हुए गन्ने का समर्थन मूल्य घोषित किया है।
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