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गुरु गोविंद सिंह जी का 357वां प्रकाश पर्व मनाया गया,’

 ’तप स्थल तीजी पातशाही गुरु अमर दास गुरुद्वारा में की गई अरदास,अटूट लंगर का आयोेजन 


हरिद्वार। सिक्खों के दसवें गुरु गुरु गोविंद सिंह जी का 357वां प्रकाश पर्व कनखल स्थित ऐतिहासिक तप स्थल तीजी पात शाही गुरु अमर दास गुरुद्वारा में श्रद्धा पूर्वक मनाया गया। इस अवसर पर श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के अखंड पाठ का समापन हुआ, अरदास की गई और कड़ा प्रसाद वितरित किया गया,साथ ही अटूट लंगर का आयोजन किया। इस अवसर पर शबद कीर्तन का आयोजन किया गया। सभी श्रद्धालुओं ने बड़े मनोभाव से अपने गुरु गुरु गोविंद सिंह जी का भावपूर्ण स्मरण किया और उनके बताए मार्ग पर चलने का संकल्प लिया। ग्रंथी देवेंदर सिंह ने अरदास की मुख्य यजमान सरदार मनजीत सिंह ओबेरॉय परिवार ने अखंड पाठ का आयोजन किया था। इस अवसर पर तप स्थल के मुख्य महंत रंजय सिंह महाराज ने अपने संदेश में कहा कि बिहार के पटना में जन्मे गुरु गोबिंद सिंह एक योद्धा, कवि और दार्शनिक थे जिनके विचारों और शिक्षाओं की सिख समुदाय पूजा करता है। उनके विचार हर युग में प्रासंगिक रहेंगे। तप स्थल की संयोजिका बिन्निंदर कौर सोढ़ी ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी और उनके परिवार ने सनातन धर्म की रक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। धर्म की रक्षा के लिए उनके इस बलिदान को कभी भी देश और समझ नहीं भुला सकता है। मनजीत सिंह ओबेरॉय ने कहा कि गुरु गोविंद सिंह जी दूर दृष्टा और न्याय प्रिय थे। गुरु तेग बहादुर के परिवार में गुरु गोविंद सिंह का जन्म 22दिसंबर 1666 को हिंदी पंचांग के अनुसार पौष मास की शुक्ल पक्ष की सप्तमी के दिन बिहार के पटना में हुआ था। वह गुरु तेग बहादुर के पुत्र थे। गुरु गोविंद सिंह सिख धर्म में एक महान व्यक्तित्व थे,जो समानता,न्याय और निस्वार्थता की शिक्षाओं के लिए जाने जाते थे। गुरु गोबिंद सिंह को खालसा पंथ की स्थापना के लिए भी जाना जाता है, जो दीक्षित सिक्खों का एक समूह है जो सख्त व्यवहार संहिता का पालन करते हैं। पहले पांच खालसा सदस्यों की शुरुआत 1699 में वैसाखी दिवस पर हुई थी,जो खालसा पहचान की उत्पत्ति का प्रतिनिधित्व करते थे। गुरु गोविंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में राजेंद्र जीत सिंह ओबेरॉय ,सुरेंद्रजीत सिंह,गजेंद्रजीत सिंह ओबेरॉय,महेंद्रजीत सिंह डेविड,ग्रंथी इंद्रजीत सिंह,डॉक्टर गुरप्रीत सिंह ओबेरॉय,जगजीत सिंह,अवतार सिंह,गुरविंदर सिंह,बलविंदर सिंह,वीरेंद्र जीत सिंह ,अमरजीत सिंह,गुरचरण सिंह आदि उपस्थित थे।


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