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स्वामी गोविंद दास जी महाराज ज्ञान और त्याग का एक विशाल सरोवर थे-स्वामी लक्ष्मणदास

 


हरिद्वार। उत्तरी हरिद्वार स्थित श्री महंत 1008 स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज के नारायण आलयम आश्रम में श्री हनुमान मंदिर गंगोत्री धाम के संस्थापक ब्रह्मलीन स्वामी गोविंद दास जी महाराज का षोडसी समष्टि भंडारा हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने की। विरक्त वैष्णो मंडल संत समाज ऋषिकेश दिल्ली हरिद्वार तथा गंगोत्री के पावन संतों की गरिमामई उपस्थिति में आयोजित संत समागम को संबोधित करते हुए नारायण अलायम,रानी गली,हरिद्वार के उत्तराधिकारी स्वामी लक्ष्मणदास जी महाराज ने कहा स्वामी गोविंद दास जी महाराज ज्ञान और त्याग का एक विशाल सरोवर थे। उनके ज्ञान रूपी सरोवर में स्नान करने के बाद भक्तजन अपने जीवन को धन्य और कृतार्थ किया करते थे। स्वामी जी ज्ञान और त्याग की एक अखंड मूर्ति थे। उन्होंने सनातन परंपरा को और अधिक आगे बढ़ाने के लिए कार्य किया। भक्तों को कल्याण का मार्ग दिखाया। नारायण अलायम के संस्थापक जम्मू कश्मीर पीठाधीश्वर रामानुज सम्प्रदायाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य जी महाराज ने कहा ऐसे तपस्वी साधु संत समाज कल्याण के लिए अपना जीवन समर्पित कर देते हैं। भक्तों के कल्याण के लिए सदैव तपस्या में लीन रहते हैं, महापुरुष कभी मरा नहीं करते। साकेतवास ब्रह्मलीन होते हैं। वह अपने दिए गए संस्कारों तथा ज्ञान के माध्यम से भक्तजनों के बीच सदैव विद्यमान रहते हैं। स्वामी गोविंद जी महाराज ने अपने गंगोत्री धाम के स्थान को समाजसेवी संत हनुमान वाटिका रामलीला मैदान दिल्ली के संस्थापक पूज्य संत कुलभूषण स्वामी रामकृष्णदास जी महाराज को लगभग 25वर्ष पूर्व सौंप दिया था। श्रद्धांजलि सभा में राष्ट्रीय सन्त स्वामी नवल किशोर दास महाराज,स्वामी दयाराम दास महाराज,स्वामी ईश्वर दास जी महाराज,पंडित अशोक सेमवाल ,फलाहारी बाबा सीताराम दास,स्वामी भारतभूषण दास,बाबा हठयोगी महाराज,महंत दुर्गादास महाराज,स्वामी रामकृपाल दास जी,स्वामी प्रणव दास जी महाराज,महंत शत्रुघ्न दास,स्वामी दयाराम दास,महंत जयराम दास, स्वामी चतुर्भुज दास महाराज, धर्मदास महाराज, रामनाथ मिश्रा सहित भारी संख्या में संत महंत और भक्तगण उपस्थित थे।


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गौ गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया

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ऋषिकेश मेयर सहित तीन नेताओं को पार्टी ने थमाया नोटिस

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धूमधाम से गंगा जी मे प्रवाहित होगा पवित्र जोत,होगा दुग्धाभिषेक -डॉ0नागपाल

 112वॉ मुलतान जोत महोत्सव 7अगस्त को,लाखों श्रद्वालु बनेंगे साक्षी हरिद्वार। समाज मे आपसी भाईचारे और शांति को बढ़ावा देने के संकल्प के साथ शुरू हुई जोत महोसत्व का सफर पराधीन भारत से शुरू होकर स्वाधीन भारत मे भी जारी है। पाकिस्तान के मुल्तान प्रान्त से 1911 में भक्त रूपचंद जी द्वारा पैदल आकर गंगा में जोत प्रवाहित करने का सिलसिला शुरू हुआ जो आज भी अनवरत 112वे वर्ष में भी जारी है। इस सांस्कृतिक और सामाजिक परम्परा को जारी रखने का कार्य अखिल भारतीय मुल्तान युवा संगठन बखूबी आगे बढ़ा रहे है। संगठन अध्यक्ष डॉ महेन्द्र नागपाल व अन्य पदाधिकारियो ने रविवार को प्रेस क्लब में पत्रकारों से  मुल्तान जोत महोत्सव के संबंध मे वार्ता की। वार्ता के दौरान डॉ नागपाल ने बताया कि 7 अगस्त को धूमधाम से  मुलतान जोट महोत्सव सम्पन्न होगा जिसके हजारों श्रद्धालु गवाह बनेंगे। उन्होंने बताया कि आजादी के 75वी वर्षगांठ पर जोट महोत्सव को तिरंगा यात्रा के साथ जोड़ने का प्रयास होगा। श्रद्धालुओं द्वारा जगह जगह सुन्दर कांड का पाठ, हवन व प्रसाद वितरण होगा। गंगा जी का दुग्धाभिषेक, पूजन के साथ विशेष ज्योति गंगा जी को अर्पित करेगे।