हरिद्वार। राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण समिति ट्रस्ट की राष्ट्रीय सचिव रेखा नेगी ने गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर बोलते हुए कहा कि गणतंत्र दिवस भारत का राष्ट्रीय पर्व है। यह प्रतिवर्ष 26 जनवरी को मनाया जाने वाला एक ऐसा दिन है, जिसे हर भारतवासी पूरे उत्साह, जोश और सम्मान के साथ मनाता है। राष्ट्रीय पर्व होने के नाते इसे हर धर्म, संप्रदाय और जाति के लोग मनाते हैं। इस दिन लोग अपना धर्म, जाति, पंथ,लिंग और बहुत कुछ भूल जाते हैं। यह पूरे देश को एक साथ लाता है। यह सचमुच हमारे देश की विविधता को दर्शाता है। भारत की राजधानी, नई दिल्ली, इसे गणतंत्र दिवस परेड के साथ मनाती है जो भारतीय सेना की ताकत और हमारे देश की सांस्कृतिक विविधता को प्रदर्शित करती है। गणतंत्र दिवस मनाने का मुख्य कारण यह है कि इस दिन भारत का गणतंत्र और संविधान लागू हुआ था। इसके अलावा इस दिन का एक और इतिहास है, जो काफी दिलचस्प है। इसकी शुरुआत दिसंबर 1929 में पंडित नेहरू की अध्यक्षता में लाहौर में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन से हुई। जिसमें कांग्रेस ने घोषणा की थी कि यदि 26 जनवरी 1930 तक भारत को डोमिनियन का दर्जा नहीं दिया गया तो भारत अपने आप को पूरी तरह से स्वतंत्र घोषित कर देगा, लेकिन जब वह दिन आया और ब्रिटिश सरकार द्वारा कोई जवाब नहीं दिया गया। उस दिन से कांग्रेस ने एक आंदोलन शुरू कर दिया। स्वतंत्रता प्राप्त करने के लक्ष्य के साथ सक्रिय आंदोलन। इसलिए संविधान की स्थापना के लिए 26 जनवरी का दिन चुना गया जब हमारा देश भारत आजाद हुआ। गणतंत्र दिवस समारोह भारतीय आन-बान-शान का द्योतक होता है। यह हमारे देश की विकास-यात्रा का प्रतिनिधित्व करता है। देश की सामाजिक, आर्थिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक विकास को दर्शाने का एक कुशल प्लेटफॉर्म है। हमारा राष्ट्रीय पर्व होने के नाते इससे हमारे देश की गरिमा जुड़ी होती है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
Comments
Post a Comment