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प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है इलैक्ट्रोहोम्योपैथी-आदेश चौहान

इलेक्ट्रोहोम्योपैथी के अविष्कारक काउंट सीजर मैटी का 215वां जयंती समारोह आयोजित किया


 हरिद्वार। बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिकल साइंस एंड कैंसर रिसर्च सेंटर अलीपुर बहादराबाद में इलेक्ट्रोहोम्योपैथी के अविष्कारक काउंट सीजर मैटी का 215वां जयंती समारोह आयोजित किया गया। समारोह का शुभारंभ विधायक आदेश चौहान,ईस्ट वेस्ट यूनिवर्सिटी ऑफ होलिस्टिक हैल्थ साइंसेज यूएसए के हाई चांसलर व इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ इलेक्ट्रोहोम्योपैथी यूएसए के चेयरमैन डा.देबाशीष कुंडु, इंस्टीट्यूट ऑफ आइरिडोलोजी उदयपुर राजस्थान की डायरेक्टर डा.अचला मोगरा,बायोम स्पेजरिक फार्मा भिलाई छत्तीसगढ़ के डायरेक्टर डा.निलेश थावडे, इएमए इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.केपीएस चौहान,राष्ट्रीय महासचिव डा.एनएस ताकुली,प्रदेश अध्यक्ष डा.मुकेश चौहान,बालाजी इंस्टीट्यूट की प्राचार्या डा.वीएल अलखानिया ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। समारोह को सम्बोधित करते हुए विधायक आदेश चौहान ने कहा कि इलेक्ट्रोहोम्योपैथी एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति है। जिसका अपना रोग निदान आइरिस एनालाइसिस है। यह पैथी रोग निवारण में अधिक विशेष एवं अति उत्तम है। इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा जन स्वास्थ्य के लिए एक अच्छा विकल्प है। इसको अत्यधिक जन प्रिय बनाने के प्रयास करने होंगे। डा.देबाशीष कुंडु ने काउंट सीजर मैटी के जीवन के कुछ अनछुए पहलुओं पर प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रकाश डालते हुए कहा कि मैटी ने अपनी पुस्तक वेदवेकम में इलेक्ट्रोहोम्योपैथी औषधियों को एलकैमी लिखा है। वहीं स्वामी विवेकानंद ने अपनी पुस्तक पतंजली योगसूत्र अध्याय चार केवल्य पद पेज 123-24 में एलकैमी मेडिसिन को सर्वोत्तम लिखा है। इससे यह प्रमाणित होता है कि इलेक्ट्रोहोम्योपैथी मेडिसिन सर्वोत्तम है। समारोह को सम्बोधित करते हुए डा.अचला मोगरा ने कहा कि ज्योतिष शास्त्र की तरह इलेक्ट्रोहोम्योपैथी में आइरिस एनालाइसिस से स्वास्थ्य का भविष्य भी जाना जाता है। डा.मोगरा ने कहा कि इंटेस्टाइनल कैंसर सहित शरीर में होने वाले कैंसर के पूर्व प्रत्यक्ष होने वाले चिन्ह आइरिस एनालिसिस से पता चलते है। डा.मोगरा ने कहा कि आने वाला समय आईरिस एनालिसिस डायग्नोसिस का है।डा.थावडे ने कहा कि स्पेजरिक मेडिसिन अन्य सिस्टम की मेडिसिन से अधिक प्रभावी,गुणकारी,दुष्प्रभाव रहित प्राकृतिक है तथा मेडिसिन शरीर में उत्पन्न अनुवांशिक बीमारी की चिकित्सा के साथ ही इसके क्रम को भी तोड़ती है और शरीर को बिना कोई नुक्सान पहुंचाए स्वस्थ करती है। डा.केपीएस चौहान ने कहा कि इलेक्ट्रोहोम्योपैथी चिकित्सा प्रणाली एलकैमी होने की वजह से सर्वोत्तम है। इसका प्रमाण स्वामी विवेकानंद की पुस्तक पंतजली योगसूत्र में भी मिलता है। डा.चौहान ने कहा कि आने वाला समय इलेक्ट्रोहोम्योपैथी का है। डा.चौहान ने कहा कि बीमारियों को शीघ्र ठीक करने हेतु चिकित्सकों को इलेक्ट्रोहोम्योपैथी मेडिसिन आन्तरिक एवं वाह्य दोनो प्रकार से उपयोग करनी चाहिए, ऐसा करने से मरीजों को संतोष जनक आराम मिलेगा। इस सिस्टम की दवाईयों की यही विशेषता है कि ये शरीर में आन्तरिक एवं वाह्य दोनो रुप से लाभ पहुंचाती हैं। समारोह में भारत की सुप्रसिद्ध स्पेजिरिस्ट डा.अचला मोगरा,भारत के प्रसिद्ध प्राकृतिक स्पेजरिक औषधि निर्माता डा.निलेश थावडे, इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ इलेक्ट्रोहोम्योपैथी यू एसए के चेयरमैन व ईस्ट वेस्ट यूनिवर्सिटी ऑफ होलिस्टिक हैल्थ साइंसेज यूएसए के हाई चांसलर डा.देबाशीष कुंडु,विधायक आदेश चौहान को अवार्ड आफ आनर तथा उत्तराखंड में सबसे ज्यादा रोगियों का इलेक्ट्रोहोम्योपैथी आइरिस एनालाइसिस से रोग निदान करने वाले चम्बा टिहरी गढ़वाल के चिकित्सक डा.एसपी डोभाल को थ्री स्टार अवार्ड्,उड़ीसा के चिकित्सक डा.लालटेंदु दलाई एवं दिल्ली की चिकित्सक डा.रेखा खर्याल को इएमए भारत के आजीवन सदस्यता प्रमाणपत्र  इएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.केपीएस चौहान ने प्रदान किये।


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