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महर्षि दयानन्द के आदर्शो को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता- स्वामी आदित्यवेश


 हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय विभाग में महर्षि दयानन्द सरस्वती जयंती के 200वी जयंती के उपलक्ष्य में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस अवसर पर महर्षि दयानन्द सरस्वती के सिद्धान्तों पर प्रकाश डालते हुए विभाग के अध्यापकों व ब्रह्मचारियों से उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलने का आवह्वान किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता गुरुकुल के मुख्य अधिष्ठिता डॉक्टर दीनानाथ शर्मा ने की तथा गुरुकुल कांगड़ी विद्या सभा के उप मंत्री ओर सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी आदित्यवेश के सान्निध्य दक्षिण अफ्रीका से भारत पहुचे प्रतिनिधि मंडल का स्वागत किया गया। स्वामी आदित्यवेश ने कहा कि महर्षि दयानन्द के आदर्शो को जन जन तक पहुंचाने की आवश्यकता है। महर्षि दयानन्द ने सत्य का पालन किया जिसके लिए साहस की आवश्यकता होती है और उन्हें जीवन में 17बार जहर भी पीना पड़ा ऐसा विश्व में उदाहरण मिलना मुश्किल है। उन्होंने राष्ट्रवाद की अवधारणा को परिभाषित किया स्वामी जी से प्रेरणा लेकर हजारों नौजवान आजादी की लड़ाई में कूद पड़। डॉक्टर दीनानाथ शर्मा ने कहा कि महर्षि दयानन्द ने तर्क की कसौटी पर हर चीज को परखा और लोगों के सोचने की दिशा ही बदल डाली। उन्होंने कहा की पंडित नरदेव वेदालंकार इसी गुरुकुल में पढ़े ओर उसके बाद दक्षिण अफ्रीका मे वैदिक धर्म का प्रचार किया। आज उस परिवार के सदस्य यहाँ पहुंचे हैं। उनका स्वागत करना हमारे लिए गर्व की बात है।            आर्य प्रतिनिधि सभा दक्षिण अफ्रीका के कोषाध्यक्ष प्रबोध वेदालंकार ने कहा कि महर्षि दयानन्द ने नारी शिक्षा व वेदों के पठन पाठन पर जोर दिया। आर्य समाज के प्रसिद्ध विद्वान पंडित नरदेव वेदालंकार ने दक्षिण अफ्रीका में आर्य समाज के प्रचार प्रसार तथा नारी शिक्षा,हिंदी शिक्षा एवं संस्कारों निर्माण अभियान को मजबूती प्रदान की। स्वामी शंकरानंद,भवानी दयाल संन्यासी सहित कई महापुरुषों ने दक्षिण अफ्रीका की धरती पर वैदिक सनातन धर्म के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर दक्षिण अफ्रीका से आये प्रबोध वेदालंकार,विक्रम वेदा लंकार,रीटा,चंद्रिका,संध्या,कृति और राजीव वेदालंकार को शॉल,ओम पट्टीका ओर मालाओं से स्वागत किया। गुरुकुल के ब्रह्मचारियो ने बैंड की मधुर धुन से अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलपति प्रो.सोमदेव शतांशु ने कहा कि आज सारा विश्व स्वामी दयानन्द सरस्वती के सिद्धान्तों को अपनाकर विश्व को शांति के पथ पर ले जाने की दिशा में अग्रसर हो रहा है। गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलसचिव प्रो0 सुनील कुमार ने कहा कि गुरुकुल स्वामी दयानन्द सरस्वती के सिद्धान्तों पर चलकर देश दुनिया का मार्ग प्रशस्त कर रहा है। गुरुकुल के स्नातकों ने देश दुनिया में भारतीय वैदिक शिक्षा व ज्ञान विज्ञान को प्रसारित कर दुनिया का मार्ग प्रशस्त किया है। उन्होंने दक्षिण अफ्रीका से आए प्रतिनिधि मण्डल का स्वागत करते हुए कहा कि गुरुकुल से जुड़ा यह परिवार आज भी दक्षिण अफ्रीका में आर्य समाज के सिद्धान्तों व गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की ध्वजा को फहराने का कार्य कर रहा है। इस अवसर पर सार्वदेशिक आर्य युवक परिषद दिल्ली के प्रधान उत्तम आर्य,परिषद की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य धर्मेंद्र पहलवान, अवनीश आर्य,प्रधानाचार्य डॉ.बिजेंद्र शास्त्री,डॉ. योगेश शास्त्री,जितेन्द्र वर्मा,अशोक आर्य,डा0 हुकम चन्द,अश्वनी आर्य,बृजेश वेदालंकार,अमर सिंह,धर्म सिंह,वेदपाल,विजय,राज कमल,गौरव शर्मा,धर्मेन्द्र आर्य आदि भी उपस्थित रहे।


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