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चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर वर्चुअल बैठक आयोजित कर श्रद्धा सुमन अर्पित

 हरिद्वार। इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी ऑफ इंडिया हरिद्वार चैप्टर द्वारा चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर वर्चुअल बैठक आयोजित कर उन्हें श्रद्धा सुमन अर्पित किये। इस अवसर पर सोसाइटी के अध्यक्ष इंजीनियर मधुसूदन अग्रवाल ‘आर्य‘ ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महानायक कहे जाने वाले शहीद चंद्रशेखर आजाद की आज पुण्यतिथि है। यही वह दिन है,जब मातृभूमि की सेवा में उन्होंने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी। महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद जी का नाम बहादुरी,राष्ट्रभक्ति और बलिदान का पर्याय है। उनके हृदय में देश व मातृभूमि के लिए इतना प्रेम था कि उन्होंने बहुत छोटी उम्र से ही अंग्रेजों के विरुद्ध लोहा लेना शुरू किया और फिर अपना सम्पूर्ण जीवन देश की स्वतंत्रता के लिए समर्पित कर दिया। उनका नाम आजाद था और वे आजाद ही मरे। इस अवसर पर जगदीश लाल पाहवा ने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अमर बलिदानी चंद्रशेखर आजाद की पूरी जिंदगी ही देश को समर्पित थी। 27फरवरी 1931 को वह अंग्रेजों से लड़ते हुए शहीद हो गए थे। उनकी शहादत को आज भी देशवासी बड़ी शान से देखते हैं। उन्होंने कहा कि वह आजादी के लिए इतना दीवाने थे कि जब वह महज 15 साल के थे,तो गांधीजी से प्रभावित होकर उनके असहयोग आंदोलन में शामिल हो गए थे। संयुक्त सचिव राकेश अरोड़ा ने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद एक महान भारतीय स्वतंत्रता सेनानी थे। उनकी उग्र देशभक्ति और साहस ने उनकी पीढ़ी के अन्य लोगों को स्वतंत्रता संग्राम में प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया। संगठन सचिव एसएस राणा ने कहा कि चन्द्रशेखर आजाद भारत की धरती पर जन्मे एक साहसी और क्रांतिकारी थे,जिन्हें उनकी क्रांतिकारी गतिविधियों के लिए हमेशा याद किया जाएगा। उनके साहसिक कार्यों ने उन्हें भारतीय युवाओं के बीच हीरो बना दिया है। अपने नाम के अनुरूप, साम्राज्य के विरुद्ध कई गतिविधियों के बाद उन्हें कभी भी अंग्रेजों द्वारा नहीं पकड़ा गया। रेखा नेगी ने कहा कि हमारे भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों ने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ अथक संघर्ष किया है। भारत के स्वतंत्रता के सबसे महान शहीदों में से एक है चंद्रशेखर आजाद। जो भारत माता के सच्चे सपूत कहलाते हैं। चंद्रशेखर आजाद की बहादुरी हमेशा भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में याद की जाती है। चंद्रशेखर आजाद का जीवन क्रांतिकारी गतिविधियों से भरा रहा है। आज दुनिया भर में चंद्रशेखर आजाद का नाम एक स्वतंत्रता सेनानी के रूप में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाता है। मयंक पोखरियाल ने कहा कि भारत के वीर सपूत चंद्रशेखर आजाद में समाजवादी क्रांति का आवाहन किया। उन्होंने संकल्प लिया था कि वह ना तो ब्रिटिश सरकार द्वारा पकड़े जाएंगे और ना ब्रिटिश सरकार उन्हें फांसी दे सकेगी। इसी संकल्प को पूरा करते हुए चंद्रशेखर आजाद ने 27फरवरी 1931को इलाहाबाद के अल्फ्रेड पार्क में स्वयं को गोली मारकर मातृभूमि के लिए प्राणों की आहुति दे दी। इस वर्चुअल बैठक में विभिन्न प्रान्तों से सोसाइटी के सदस्य जुड़े जिसमे सेवानिवृत आईपीएस आफिसर विजय कुमार गर्ग,डॉ पवन सिंह,डॉ सुनील बत्रा,सर्वेश कुमार गुप्ता,हेमंत सिंह नेगी,सुनील त्रिपाठी,डॉ महेंद्र आहूजा,शहनवाज खा,राजीव राय,सुरेश चन्द्र गुप्ता,नीलम रावत,विनोद कुमार मित्तल,डॉक्टर अरुण पाठक,एडवोकेट प्रशांत राजपूत,नरेश मोहन,विश्वास सक्सेना,अन्नपूर्णा बंधुनी,अविनाश चंद्र,अशोक राघव,विमल कुमार गर्ग,नूपुर पाल,नीलम रावत,साधना रावत,प्रीति जोशी,डॉ मनीषा दीक्षित एवं अन्य महानुभाव उपस्थित रहे।


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