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देसंविवि में वैज्ञानिक अध्यात्मवाद पर दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय कार्यशाला का समापन

 कार्यशाला में 80 शोध पत्र पढ़े गये, प्रतिभागियों को किया गया सम्माानित

हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में वैज्ञानिक अध्यात्म पर अयोजित दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कार्यशाला का आज समापन हो गया। समापन सत्र में पैनल चर्चा हुई और प्रतिभागियों ने अपने अनुभवों को साझा किये। देसंविवि के संकायाध्यक्ष संदीप कुमार, डॉ.पीयूष त्रिवेदी और डॉ कृष्णा झरे ने वैज्ञानिक अध्यात्म पर अपने विचार रखे। साथ ही सभी प्रतिभागियों को स्मृति चिह्न व प्रमाण पत्र आदि भेंटकर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर डॉ राजेश रंजन ने यज्ञ का अध्यात्म विज्ञान एवं अभियांत्रिकी के विषय पर चर्चा की। डॉ.अमिताभ सराफ ने युगऋषि तपोनिष्ठ पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा लिखित पुस्तक काया ऊर्जा एवं उसकी चमत्कारी शक्ति से अपनी आध्यात्मिकता की यात्रा के विषय में बताई। पत्रकारिता विभाग के अध्यक्ष डॉ.सुखनंदन सिंह ने भी अपने विचार प्रकट किया। डॉ.संतोष विश्वकर्मा,सुश्री पूनम ,कुमुदिनी मुदुली एवं डॉ गायत्री शर्मा इत्यादि लोगों ने वैज्ञानिक अध्यात्मवाद पर अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। कार्यशाला में कुल 80शोधपत्र पढ़े गये। पश्चात प्रतिभागियों ने युगऋषि द्वारा स्थापित शांतिकुंज,देवसंस्कृति विवि की विभिन्न गतिविधियों का अध्ययन किया। शांतिकुंज व देसंविवि वैज्ञानिक अध्यात्मकवाद पर हो शोधकार्य से अवगत हुए। समापन समारोह से पूर्व प्रतिभागियों ने शांतिकुंज स्थित चैतन्य तीर्थ प्रखर प्रज्ञा-सजल श्रद्धा व सन 1926 से सतत प्रज्वलित सिद्ध अखण्ड दीपक के दर्शन किया। ब्रह्मवादिनी बहिनों द्वारा संचालित 27कुण्डीय गायत्री महायज्ञ में सर्वे भवन्तु सुखिनः के भाव से आहुतियाँ दी।


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गौ गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया

  हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है।  महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा

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