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ग्रामीण परिवेश से जुड़ी लड़कियों को आत्मसुरक्षा के गुर सीखा रही है उड़नपरी आरती सैनी’

 हरिद्वार।ग्रामीण क्षेत्रों में रह रही लड़कियों में आत्म सुरक्षा और खेल के गुर सिखाने के लिए मार्शल आर्ट वुशु की राष्ट्रीय कोच आरती सैनी कई वर्षों से समर्पित भाव से लगी हुई है और आर्थिक रूप से पिछड़ी लड़कियों को निशुल्क प्रशिक्षण दे रही हैं। ग्रामीण परिवेश से जुड़ी हुई लड़कियों में आरती ने आत्मविश्वास कूट-कूट कर भर दिया है। आरती सैनी इन लड़कियों में उड़न परी के नाम से भी विख्यात है। वास्तव में आरती सैनी ने वह चमत्कार कर दिखाया जो संभव नहीं था। आर्थिक रूप से कमजोर लड़कियों कस्तूरबा गांधी विद्यालय और अन्य छात्रावासों में रहती हैं,उनको इकट्ठा करना,खेलो और आत्म सुरक्षा के प्रति उनमें चेतना पैदा करना और उनके अंदर आत्मविश्वास जगाने का कार्य आरती कर रही है। भारत सरकार ने खेलो इंडिया का नारा दिया हुआ है,जिस नारे को धरातल पर उतारने के लिए आरती सैनी एक तपस्वी की तरह लगी हुई है। आरती बताती है कि उन्हें बचपन से ही खेलों के प्रति रुझान रहा है। उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर के अलीपुर अटेरना की रहने वाली आरती सैनी एयर होस्टेस बनना चाहती थी,उसका उन्होंने प्रशिक्षण भी लिया। परंतु ग्रामीण परिवेश से जुड़े उनके परिवारजनों ने उन्हें एयर होस्टेस की नौकरी में नहीं जाने दिया। जिस पर आरती सैनी ने यह संकल्प लिया कि वह ग्रामीण परिवेश से जुड़ी हुई लड़कियों में खेलों और आत्म सुरक्षा के प्रति आत्मविश्वास जगाएंगी और वह अपने इस मकसद में कामयाब रही और उन्हें इस काम में उनके घर वालों का सहयोग भी मिला। आरती सैनी ने स्वयं मार्शल आर्ट वुशु का विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया है और राष्ट्रीय स्तर पर कई खिताब जीते हैं। और बाद में उन्होंने मार्शल आर्ट वुशु कोच के रूप में विशेष प्रशिक्षण प्राप्त किया और आज राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिताओं में वह एक कोच तथा चयनकर्ता के रूप में अपनी विशिष्ट पहचान बना चुकी है और मार्शल आर्ट वुशु एसोसिएशन के कईं पदों पर आसीन हैं। उन्होंने पीएसी,सिविल पुलिस अन्य सरकारी संस्थानों में महिला कर्मियों को आत्म सुरक्षा के गुर सिखाएं हैं और वुशु मार्शल आर्ट्स की कई टीमें तैयार की है। जो प्रांतीय और राष्ट्रीय स्तर पर झंडे गाढ़ रही हैं। आरती सैनी शादी के बाद मुजफ्फरनगर से हरिद्वार जनपद के मिस्सरपुर गांव में बहु बनकर आई। परंतु अपने मृदु व्यवहार और खेल कौशल से उन्होंने लोगों को अपना बना दिया और आज वे एक खिलाड़ी और खेल प्रशिक्षक तथा आत्म सुरक्षा के रूप में ख्याति अर्जित कर रही है। इस योगदान के लिए उन्हें कई संस्थाओं ने सम्मानित भी किया है।


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