हरिद्वार। रेलवे रोड़ स्थित श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़ा के श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज के संयोजन में साकेतवासी श्रीमहंत स्वामी सरस्वत्याचार्य महाराज की 33वीं पुण्यतिथी के उपलक्ष्य में आयोजित गुरूजन स्मृति महोत्सव के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की कथा का श्रवण कराते हुए कथाव्यास हरिनामदास पंडित चन्द्रसागर महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण का वध करने के प्रयासों में जुटे कंस ने उन्हें मारने के लिए अपनी सबसे बलशाली राक्षसी पुतना को भेजा। पुतना ने अपना जहरीला दूध पिलाकर श्रीकृष्ण को मारने का प्रयास किया। लेकिन कृष्ण ने दुग्धपान करते हुए पुतना के प्राण ही हर लिए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की गौचारण लीला,कालिया नाग मर्दन माखन चोरी लीला व गोवर्धन पूजा का श्रवण भी श्रद्धालुओं को कराया। गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाते कथाव्यास ने कहा कि ब्रजवासी इंद्र का पूजन करने की तैयारी में जुटे थे। लेकिन श्रीकृष्ण ने उनसे इंद्र के बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा। श्रीकृष्ण के कहने पर ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की तो इंद्र ने घनघोर वर्षा कर दी। वर्षा से ब्रजवासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया और सभी ब्रजवासियों को उसके नीचे बुला लिया और सभी की रक्षा की। श्रद्धालु भक्तों को आशीवर्चन प्रदान करते हुए श्रीमहंत रघुवीर दास ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा विचार,वैराग्य,ज्ञान और हरि से मिलने का माध्यम है। अन्य युगों में कल्याण के लिए मनुष्य को कठिन तपस्या और यज्ञ आदि करने पड़ते थे। वहीं कलियुग में हरिनाम से ही जीव का कल्याण हो जाता है। इस अवसर पर महांडलेश्वर स्वामी गर्व गिरी,महंत सूरजदास,महंत जयराम दास,महंत बिहारी शरण,स्वामी अंकित शरण,महंत सुरेश दास,पुजारी गिरीश दास,विजय शर्मा,निर्मला शर्मा,अभिषेक शर्मा,तनु शर्मा,कुलदीप डोगरा,बबली डोगरा,रमेश रानी माता,सच्चिदानंद,मुनेश तिवारी,सत्यानंद सेमवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन शामिल रहे।
हरिद्वार। रेलवे रोड़ स्थित श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़ा के श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज के संयोजन में साकेतवासी श्रीमहंत स्वामी सरस्वत्याचार्य महाराज की 33वीं पुण्यतिथी के उपलक्ष्य में आयोजित गुरूजन स्मृति महोत्सव के अवसर पर आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं की कथा का श्रवण कराते हुए कथाव्यास हरिनामदास पंडित चन्द्रसागर महाराज ने कहा कि श्रीकृष्ण का वध करने के प्रयासों में जुटे कंस ने उन्हें मारने के लिए अपनी सबसे बलशाली राक्षसी पुतना को भेजा। पुतना ने अपना जहरीला दूध पिलाकर श्रीकृष्ण को मारने का प्रयास किया। लेकिन कृष्ण ने दुग्धपान करते हुए पुतना के प्राण ही हर लिए। उन्होंने भगवान श्रीकृष्ण की गौचारण लीला,कालिया नाग मर्दन माखन चोरी लीला व गोवर्धन पूजा का श्रवण भी श्रद्धालुओं को कराया। गोवर्धन पूजा का प्रसंग सुनाते कथाव्यास ने कहा कि ब्रजवासी इंद्र का पूजन करने की तैयारी में जुटे थे। लेकिन श्रीकृष्ण ने उनसे इंद्र के बजाए गोवर्धन पर्वत की पूजा करने को कहा। श्रीकृष्ण के कहने पर ब्रजवासियों ने गोवर्धन पर्वत की पूजा की तो इंद्र ने घनघोर वर्षा कर दी। वर्षा से ब्रजवासियों को बचाने के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठा लिया और सभी ब्रजवासियों को उसके नीचे बुला लिया और सभी की रक्षा की। श्रद्धालु भक्तों को आशीवर्चन प्रदान करते हुए श्रीमहंत रघुवीर दास ने कहा कि श्रीमद्भागवत कथा विचार,वैराग्य,ज्ञान और हरि से मिलने का माध्यम है। अन्य युगों में कल्याण के लिए मनुष्य को कठिन तपस्या और यज्ञ आदि करने पड़ते थे। वहीं कलियुग में हरिनाम से ही जीव का कल्याण हो जाता है। इस अवसर पर महांडलेश्वर स्वामी गर्व गिरी,महंत सूरजदास,महंत जयराम दास,महंत बिहारी शरण,स्वामी अंकित शरण,महंत सुरेश दास,पुजारी गिरीश दास,विजय शर्मा,निर्मला शर्मा,अभिषेक शर्मा,तनु शर्मा,कुलदीप डोगरा,बबली डोगरा,रमेश रानी माता,सच्चिदानंद,मुनेश तिवारी,सत्यानंद सेमवाल सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु जन शामिल रहे।
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