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भारतीय संस्कृति और संस्कारों की कथा है संगीतमय श्रीमद् वाल्मीकि श्रीराम कथा

 


हरिद्वार। ब्रह्मर्षि डॉ रामविलास वेदांती जी महाराज के कथनानुसार मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम की कथा अपने आप में भारतीय संस्कृति और संस्कारों की कथा है। जो पारिवारिक संबंधों के साथ ही सामाजिक विचारधारा का अप्रतीम उदाहरण है। इसका हर एक शब्द सामाजिक मर्यादा की सीख देता है। श्री राम के आचरण का अनुसरण मात्र ही रामराज्य लाने के लिए काफी है। जिनके चरित्र में परिवार के एक-एक सदस्य के साथ किस प्रकार मर्यादा का पालन करना चाहिए,उसकी सीख देता है। श्रीराम के चरित्र का एक-एक प्रसंग मौजूदा समाज और परिवार के लिए अनुकरणीय है। जिनके आदर्शों का पालन कर हर व्यक्ति धन्य हो सकता है। गौरतलब है कि देवभूमि उत्तराखंड की पावन भूमि हरिद्वार में पहली बार श्रीमद् बाल्मीकिय श्रीरामकथा का भव्य आयोजन होने जा रहा है। प्रेमनगर आश्रम,चंद्राचार्य चौक रानीपुर में 5 से लेकर 13जून तक प्रतिदिन संगीतमयी श्रीमद् बाल्मीकि श्रीरामकथा की अमृत वर्षा होगी। वशिष्ठ भवन धर्मार्थ सेवा ट्रस्ट,अयोध्या के पीठाधीश्वर महंत डॉ.रामविलास वेदांती जी रामराज्य संकल्पना के साथ हरि और हर के द्वार में गंगा की गोद में संगीतमय श्रीमद् वाल्मीकिय श्रीराम कथा का गुणगान करेंगे। श्रीराम कथा आयोजन मंडल के सदस्य निरंतर कथा के भव्य एवं दिव्य आयोजन में जुटे हुए हैं। घर-निमंत्रण पत्र बांटे जा रहे हैं। श्रीराम कथा की शुरुआत भव्य कलशयात्रा के साथ होगी। ऋषिकुल घाट से लेकर प्रेमनगर आश्रम तक 5100 कलशों के साथ माताएं एवं बहनें शोभायात्रा का आकर्षण होंगी। वहीं 14जून को विशाल भंडारे के साथ कथा का समापन होगा। कार्यक्रम संयोजक सुनील सिंह,सीए आशुतोष पांडेय,रंजीता झा,सरोज शर्मा,सहदेव शर्मा,चंद्रमणि राय,सोनी राय,आशीष कुमार झा,शशि भूषण पांडेय,विभाष मिश्रा,डॉ विशाल गर्ग,रामप्रसाद सिंह,बृजभूषण तिवारी, पुरूषोत्तम अग्रवाल,निर्मल ठाकुर,अमित गोयल,वरूण कुमार सिंह,अजय राय,मुरारी पांडेय,मनोज शुक्ला,राघवेन्द्र शर्मा,नवीन तिवारी,राकेश राय,रूपलाल यादव,रंजीत जालान,जगदीश लाल पाहवा, राकेश उपाध्याय,अमित साही,अमृत रंजन,किरण सिंह,रंजीत टिबडेवाल,मनोज मोहन यादव,शिव शंकर पांडेय,ज्ञानेंद्र सिंह,संतोष कुमार,अबधेश झा,काली प्रसाद साह,डॉ.अमित राय,अनिल उपाध्याय,अतुल राय,सूरज मिश्रा, सुंधाशु राय,वरूण शुक्ला,आलोक मिश्रा सहित अन्य सदस्य दिन रात जुटे हुए है।


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