ऋषिकेश। समाज के हर वर्ग तक सहायता और सेवा पहुँचाने का उद्देश्य लेकर, महावीर सेवा सदन एक नए प्रकल्प की शुरूआत कर रहा है,जिसका आज पूज्य श्रद्धेय स्वामी चिदानंद सरस्वती,श्रद्धेय स्वामी गोविंददेव गिरि,भागवताचार्य ’कन्हैयाजी’ अनुराग कृष्ण शास्त्री के पावन सान्निध्य में उद्घाटन हुआ। इस केन्द्र का उद्देश्य दिव्यांग,शारीरिक और मानसिक रूप से असहाय व्यक्तियों को सहारा देना,उन्हें पुनःसमाज में उनकी गरिमा के साथ स्थापित करना और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देना है। महावीर सेवा सदन,मानवता की सेवा में समर्पित एक संस्थान है,जो समाज के विकास और कल्याण के क्षेत्र में एक नई प्रेरणा का स्रोत है। इस नवीन प्रकल्प का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक विकलांगता से जूझ रहे व्यक्तियों के जीवन को सरल और सशक्त बनाना है। यह केन्द्र उन लोगों के लिए एक आशा की किरण होगा,जो समाज में अपनी जगह तलाश रहे हैं और जिनकी मदद के लिए कभी पर्याप्त संसाधन नहीं होते।इस केन्द्र में न केवल चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाएगी, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक पुनर्वास के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। इस प्रकल्प के तहत चिकित्सकीय,मानसिक,और शारीरिक उपचार के साथ- साथ उन व्यक्तियों के लिए एक शोध केंद्र की भी व्यवस्था होगी,जो दिव्यांगता के कारण विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि सेवा का कार्य किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे बड़ा उद्देश्य होता है। जब हम किसी की मदद करते हैं,तो हम दरअसल अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाते हैं।स्वामी जी ने कहा कि हमारी सेवा तभी सार्थक हो सकती है,जब यह न केवल शारीरिक रूप से,बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी दूसरों के लिए लाभकारी हो,यह सेवा केवल एक कार्य नहीं,बल्कि एक जीवनशैली होनी चाहिए,जो हमारी सच्ची पहचान बने। स्वामी गोविंददेव गिरि ने कहा कि समाज के कमजोर वर्ग के प्रति सहानुभूति और सहयोग ही असली मानवता है। जब हम किसी की मदद करते हैं,तो हम अपने भीतर एक नई ऊर्जा महसूस करते हैं और यह ऊर्जा हमें जीवन में और भी अधिक प्रगति की दिशा में प्रेरित करती है। भागवताचार्य कन्हैया जी अनुराग कृष्ण शास्त्री ने कहा कि मनुष्य का जीवन सेवा के बिना अधूरा है।जब हम अपनी सेवा दूसरों के लिए अर्पित करते हैं,तो हमें वास्तविक खुशी मिलती है।यह सेवा कार्य उसी खुशी की ओर एक कदम बढ़ाना है।कार्यक्रम में दिलीप मंडल,राज्यमंत्री,परिवहन विभाग,पश्चिमबंगाल ने भी अपने विचार रखे और इस प्रकल्प की सफलता की कामना की।उन्होंने कहा कि“महावीर सेवा सदन का उद्घाटन समाज के कमजोर वर्गों के लिए एक सकारात्मक दिशा की ओर कदम बढ़ाने जैसा है। यह कदम न केवल दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन को सुधारने में मदद करेगा,बल्कि समाज के हर वर्ग में सहानुभूति और संवेदनशीलता को बढ़ावा देगा। संस्थापक अध्यक्ष जे.एस.मेहता ने कहा कि“हमारा उद्देश्य केवल एक संस्थान के रूप में कार्य करना नहीं है,बल्कि एक मिशन को अंजाम देना है,जो समाज में बदलाव लाने के लिए एक प्रेरणा बन सके। महावीर सेवा सदन का यह प्रकल्प उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा,जो किसी भी प्रकार के शारीरिक या मानसिक विकलांगता से जूझ रहे हैं और यह उनके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करेगा। यह संस्थान समाज में बदलाव लाने और हर व्यक्ति को समान अधिकार देने के लिए समर्पित रहेगा,ताकि कोई भी व्यक्ति अपंगता के कारण समाज से अलग न हो,बल्कि उसे समाज में समान स्थान मिल सके।
ऋषिकेश। समाज के हर वर्ग तक सहायता और सेवा पहुँचाने का उद्देश्य लेकर, महावीर सेवा सदन एक नए प्रकल्प की शुरूआत कर रहा है,जिसका आज पूज्य श्रद्धेय स्वामी चिदानंद सरस्वती,श्रद्धेय स्वामी गोविंददेव गिरि,भागवताचार्य ’कन्हैयाजी’ अनुराग कृष्ण शास्त्री के पावन सान्निध्य में उद्घाटन हुआ। इस केन्द्र का उद्देश्य दिव्यांग,शारीरिक और मानसिक रूप से असहाय व्यक्तियों को सहारा देना,उन्हें पुनःसमाज में उनकी गरिमा के साथ स्थापित करना और सामाजिक कल्याण के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान देना है। महावीर सेवा सदन,मानवता की सेवा में समर्पित एक संस्थान है,जो समाज के विकास और कल्याण के क्षेत्र में एक नई प्रेरणा का स्रोत है। इस नवीन प्रकल्प का उद्देश्य शारीरिक और मानसिक विकलांगता से जूझ रहे व्यक्तियों के जीवन को सरल और सशक्त बनाना है। यह केन्द्र उन लोगों के लिए एक आशा की किरण होगा,जो समाज में अपनी जगह तलाश रहे हैं और जिनकी मदद के लिए कभी पर्याप्त संसाधन नहीं होते।इस केन्द्र में न केवल चिकित्सकीय सहायता प्रदान की जाएगी, बल्कि उनके मानसिक और शारीरिक पुनर्वास के लिए विभिन्न कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाएगा। इस प्रकल्प के तहत चिकित्सकीय,मानसिक,और शारीरिक उपचार के साथ- साथ उन व्यक्तियों के लिए एक शोध केंद्र की भी व्यवस्था होगी,जो दिव्यांगता के कारण विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करते हैं। स्वामी चिदानंद सरस्वती ने कहा कि सेवा का कार्य किसी भी व्यक्ति के जीवन में सबसे बड़ा उद्देश्य होता है। जब हम किसी की मदद करते हैं,तो हम दरअसल अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं और समाज में एक सकारात्मक बदलाव लाते हैं।स्वामी जी ने कहा कि हमारी सेवा तभी सार्थक हो सकती है,जब यह न केवल शारीरिक रूप से,बल्कि मानसिक और भावनात्मक रूप से भी दूसरों के लिए लाभकारी हो,यह सेवा केवल एक कार्य नहीं,बल्कि एक जीवनशैली होनी चाहिए,जो हमारी सच्ची पहचान बने। स्वामी गोविंददेव गिरि ने कहा कि समाज के कमजोर वर्ग के प्रति सहानुभूति और सहयोग ही असली मानवता है। जब हम किसी की मदद करते हैं,तो हम अपने भीतर एक नई ऊर्जा महसूस करते हैं और यह ऊर्जा हमें जीवन में और भी अधिक प्रगति की दिशा में प्रेरित करती है। भागवताचार्य कन्हैया जी अनुराग कृष्ण शास्त्री ने कहा कि मनुष्य का जीवन सेवा के बिना अधूरा है।जब हम अपनी सेवा दूसरों के लिए अर्पित करते हैं,तो हमें वास्तविक खुशी मिलती है।यह सेवा कार्य उसी खुशी की ओर एक कदम बढ़ाना है।कार्यक्रम में दिलीप मंडल,राज्यमंत्री,परिवहन विभाग,पश्चिमबंगाल ने भी अपने विचार रखे और इस प्रकल्प की सफलता की कामना की।उन्होंने कहा कि“महावीर सेवा सदन का उद्घाटन समाज के कमजोर वर्गों के लिए एक सकारात्मक दिशा की ओर कदम बढ़ाने जैसा है। यह कदम न केवल दिव्यांग व्यक्तियों के जीवन को सुधारने में मदद करेगा,बल्कि समाज के हर वर्ग में सहानुभूति और संवेदनशीलता को बढ़ावा देगा। संस्थापक अध्यक्ष जे.एस.मेहता ने कहा कि“हमारा उद्देश्य केवल एक संस्थान के रूप में कार्य करना नहीं है,बल्कि एक मिशन को अंजाम देना है,जो समाज में बदलाव लाने के लिए एक प्रेरणा बन सके। महावीर सेवा सदन का यह प्रकल्प उन लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगा,जो किसी भी प्रकार के शारीरिक या मानसिक विकलांगता से जूझ रहे हैं और यह उनके जीवन को एक नई दिशा प्रदान करेगा। यह संस्थान समाज में बदलाव लाने और हर व्यक्ति को समान अधिकार देने के लिए समर्पित रहेगा,ताकि कोई भी व्यक्ति अपंगता के कारण समाज से अलग न हो,बल्कि उसे समाज में समान स्थान मिल सके।
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