देहरादून। अखिल भारतीय नेपाली भाषा समिति की एक विशेष बैठक में चर्चा के बाद सर्वसम्मति से वर्ष 2024 के लिए भानु पुरस्कार का निर्णय किया गया है।यह समिति भारत में नेपाली भाषा और साहित्य के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान देने वाले व्यक्ति को हर वर्ष भानु पुरस्कार प्रदान करती है। इस क्रम में वर्ष 2024का भानु पुरस्कार देहरादून निवासी वरिष्ठ साहित्यकार पी.एन.राई को प्रदान किये जाने घोषणा की गई है। श्री राई को नेपाली साहित्य की श्रीवृद्धि के लिए निरंतर समर्पित रहने तथा नेपाली भाषा और साहित्य के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान के लिए यह पुरस्कार दिया जा रहा है। रक्षा लेखा विभाग से सेवानिवृत्त श्री राई कई नेपाली रचनाओं और कृतियों के लेखक हैं और पलायन की पीड़ा पर आधारित उनका एक कथासंग्रह आफ्नो हूलबाट छुट्टिएपछि पिछले साल देहरादून से प्रकाशित हुआ था। उल्लेखनीय है कि समिति भाषा एवं साहित्य के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए अखिल भारतीय स्तर पर पुस्तक प्रकाशन,काव्य गोष्ठी,साहित्यिक संगोष्ठी,पुरस्कार एवं प्रतियोगिता सहित विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों का आयोजन करती है। समिति द्वारा प्रतिवर्ष प्रदान किया जाने वाले इस सम्मान से पूर्व में भागसू के मगन पथिक,सिक्किम के डॉ.घनश्याम नेपाल,बनारस के दुर्गा प्रसाद श्रेष्ठ,दार्जिलिंग के डॉ.कमला सांकृत्यायन और प्रेम प्रधान,शिमला से जयदेव किरण और देहरादून से कर्नल सी.बी.थापा,बाबर गुरुंग,पदम सिंह कार्की,पी.पी.शर्मा,शिव सिंह राणा एवं बी.बी.राणा क्षितिज जैसे प्रख्यात साहित्यकारों को सम्मानित किया गया है।उन्हें यह पुरस्कार अगले महीने आयोजित होने वाले एक सार्वजनिक समारोह में प्रदान किया जाएगा। 6अप्रैल को नेहरूग्राम,देहरादून में आयोजित होने वाले इस सम्मान समारोह एवं पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में नेपाली भाषा,साहित्य एवं संस्कृति के क्षेत्र से जुड़े सभी संगठनों के प्रतिनिधि भाग लेंगे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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