हरिद्वार। मां गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के साथ गंगा की स्वच्छता व निर्मलता को बनाये रखने में श्रद्धालु भक्तों की सहभागिता होनी चाहिए।उक्त उद्गार श्रीमहंत मधु सुदन गिरि महाराज ने श्री बापेश्वर धाम आश्रम सन्यास रोड में श्रद्धालुओं को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि भागीरथ की कठोर तपस्या के बाद ही मां गंगा का पृथ्वी पर अवतरण हुआ। तब जाकर राजा सगर के 60 हजार पुत्रों को मां गंगा के जल से मुक्ति मिली। श्रीमहंत मधु सुदन गिरि महाराज ने कहा कि सत्य के मार्ग का अनुसरण करने वालों पर ईश्वरीय कृपा सदैव बनी रहती है। सच्चाई के मार्ग पर चलने वाले अपने भक्तों की ईश्वर सदैव रक्षा करते हैं। इसलिए प्रत्येक व्यक्ति को सत्य मार्ग का अनुसरण ही करना चाहिए। उन्होेंने कहा कि मानव कल्याण के लिए स्वर्ग से धरती पर आयी मां गंगा के दर्शन, गंगा जल के आचमन और गंगा जल में स्नान करने से सभी प्रकार के पापों और कष्टों से मुक्ति मिल जाती है।लेकिन मानवीय गलतियों के चलते आज गंगा लगातार प्रदृषित हो रही है।सभी का दायित्व है कि मां गंगा को प्रदूषण से मुक्त करने में अपना सहयोग करें। किसी भी प्रकार की दूषित सामग्री, खाने का सामान,पुराने कपड़े आदि गंगा में ना डालें।दूसरों को भी गंगा को स्वच्छ,निर्मल, अविरल बनाने में सहयोग के लिए प्रेरित करें। उन्होंने कहा कि सदैव अपने माता पिता और गुरूजनों का आदर करें।जो व्यक्ति माता पिता और गुरूजनों के प्रति आस्था और विश्वास रखते हैं। उनके जीवन में किसी प्रकार का कष्ट नहीं रहता है। माता पिता और गुरूजनों के आशीर्वाद से प्रत्येक कार्य में सफलता मिलती है और परिवार मंे सुख समृद्वि का वास होता है। महंत मधुसूदन गिरी महाराज ने अपने ब्रह्मलीन गुरु श्रीमहंत रघुनाथ गिरी महाराज की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें नमन किया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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