ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में स्वामी चिदानन्द सरस्वती के पावन सान्निध्य में क्रिया योग कोर्स का शुभारम्भ हुआ। परमार्थ निकेतन वैश्विक स्तर पर आध्यात्म,योग,पर्यावरण व मानवता की सेवा हेतु विश्वविख्यात तीर्थ है।क्रिया योग एक विशेष योग पद्धति है जो आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की एक सूक्ष्म और शक्तिशाली साधना है।योगशास्त्रों के अनुसार, क्रिया अर्थात संयमित और सुसंगठित प्रयास,और योग अर्थात संयोजन।यह साधना मन को शुद्ध कर, चेतना को उच्चतर अवस्थाओं में स्थापित करती है।महर्षि पतंजलि के योगसूत्रों में क्रिया योग का उल्लेख तपः स्वाध्याय ईश्वरप्रणिधानानि क्रिया योगः के रूप में मिलता है, जिसमें तप,स्वाध्याय और ईश्वरप्रणिधान-ये तीन आधार स्तम्भ बताए गए हैं।यही तीनों अंग साधक को आंतरिक शुद्धि,आत्मविकास और ईश्वर-साक्षात्कार की ओर अग्रसर करते हैं।क्रिया योग में श्वास,ध्यान और आंतरिक ऊर्जा के साथ विशेष प्रकार की क्रियाएं संपन्न की जाती हैं,जो नाड़ी तंत्र को शुद्ध करती हैं और प्राणशक्ति को जाग्रत करती हैं। यह साधना शरीर,मन और आत्मा-तीनों स्तरों पर अद्भुत परिवर्तन लाती है।नियमित अभ्यास से साधक की ऊर्जा केन्द्रित होती है,चेतना विकसित होती है और जीवन में सहजता से स्थिरता,संतुलन और प्रसन्नता का संचार होता है।क्रिया योग का अभ्यास केवल शारीरिक लाभ तक सीमित नहीं रहता। यह साधक को उसकी गहनतम आंतरिक शक्ति से जोड़ता है।इससे तनाव,चिंता और भय समाप्त होते हैं और आत्मविश्वास,करुणा और प्रेम जैसे दिव्य गुण भी सहज प्रकट होते हैं।शरीर स्वस्थ,मन निर्मल और आत्मा प्रफुल्लित हो उठती है।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि जब भीतर का दीपक प्रज्वलित होता है, तभी बाहर का अंधकार मिटता है।क्रिया योग वह प्रक्रिया है जो भीतर के दीपक को प्रज्वलित करने की कला सिखाती है।आज की भागदौड़ भरी दुनिया में जहाँ मानसिक तनाव और अशांति बढ़ती जा रही है, वहाँ क्रिया योग एक अमूल्य वरदान है।यह केवल एक साधना नहीं, अपितु जीवन को ईश्वरीय सौंदर्य और अर्थ प्रदान करने का साधन है। जो साधक नियमित और श्रद्धा पूर्वक इसका अभ्यास करते हैं, उनके जीवन में प्रेम,करुणा और चेतना की धाराएँ स्वतः बहने लगती हैं।यह एक स्वर्णिम सेतु है,जिस पर चलकर साधक अनंत शांति की ओर अग्रसर होते है।योगाचार्य साध्वी आभा सरस्वती ने कहा कि क्रिया योग के माध्यम से योग जिज्ञासुओं को शुद्धिकरण क्रिया,श्वास पर नियंत्रण,चक्र जागरण,ध्यान साधना करायी जाती है। क्रिया योग एक साधना है,एक विज्ञान है और एक जीवन जीने की
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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