हरिद्वार। बैशाखी के उपलक्ष्य में निरंजनी अखाड़ा रोड़ स्थित राम धाम गंगेश्वर धाम आश्रम में संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। संत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी आनन्द भास्कर महाराज ने सभी को प्रकृति संरक्षण का संदेश देते हुए कहा कि बैशाखी प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है।प्राचीन भारतीय ऋषि मुनियों और मनीषियों ने प्रकृति के साथ तालमेल कर जीवन जीने के जो सूत्र प्रतिपादित किए थे। वे आज भी प्रासंगिक हैं।उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति को आत्मसात कर ही लगातार बिगड़ रहे पर्यावरण को बचाया जा सकता है। उन्होंने भक्तों को गंगा सरंक्षण के प्रति प्रेरित करते हुए कहा कि मानवीय गलतियों के कारण गंगा लगातार प्रदूषित हो रही है।सभी मिलकर गंगा को स्वच्छ,निर्मल और अविरल बनाने में योगदान करें। दूसरों को भी गंगा संरक्षण के प्रेरित करें।स्वामी वेदानंद महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति विश्व की सबसे महान संस्कृति है।सनातन संस्कृति में सभी समस्याओं का समाधान निहित है। सभी को गुरूजनों के दिखाए मार्ग पर चलते हुए गंगा संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण में योगदान करना चाहिए।स्वामी दिव्यानंद महाराज व स्वामी अद्वैत मुनि महाराज ने कहा कि मानव कल्याण के लिए जीवन समर्पित करने वाले संत महापुरूषों के सानिध्य में भक्त का कल्याण होता है। धर्मनगरी हरिद्वार के संतों के श्रीमुख से प्रसारित होने वाले आध्यात्मिक संदेशों से पूरे विश्व को मार्गदर्शन प्राप्त होता है।स्वामी निर्मल दास महाराज ने कहा कि स्वामी आनन्द भास्कर महाराज भक्तों को धर्म व अध्यात्म की शिक्षा देने के साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक कर रहे हैं,जिससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।इस अवसर पर स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि,महंत राघवेंद्र दास,महंत गोविंददास,महंत सूर्यांश मुनि,महंत रमन मुनि,स्वामी दिनेश दास,महंत श्यामप्रकाश,महंत जयेंद्र मुनि,महंत प्रेमदास सहित कई संत महापुरूष मौजूद रहे।
हरिद्वार। बैशाखी के उपलक्ष्य में निरंजनी अखाड़ा रोड़ स्थित राम धाम गंगेश्वर धाम आश्रम में संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। संत सम्मेलन की अध्यक्षता करते हुए आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी आनन्द भास्कर महाराज ने सभी को प्रकृति संरक्षण का संदेश देते हुए कहा कि बैशाखी प्रकृति के प्रति आभार व्यक्त करने का पर्व है।प्राचीन भारतीय ऋषि मुनियों और मनीषियों ने प्रकृति के साथ तालमेल कर जीवन जीने के जो सूत्र प्रतिपादित किए थे। वे आज भी प्रासंगिक हैं।उन्होंने कहा कि सनातन संस्कृति को आत्मसात कर ही लगातार बिगड़ रहे पर्यावरण को बचाया जा सकता है। उन्होंने भक्तों को गंगा सरंक्षण के प्रति प्रेरित करते हुए कहा कि मानवीय गलतियों के कारण गंगा लगातार प्रदूषित हो रही है।सभी मिलकर गंगा को स्वच्छ,निर्मल और अविरल बनाने में योगदान करें। दूसरों को भी गंगा संरक्षण के प्रेरित करें।स्वामी वेदानंद महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति विश्व की सबसे महान संस्कृति है।सनातन संस्कृति में सभी समस्याओं का समाधान निहित है। सभी को गुरूजनों के दिखाए मार्ग पर चलते हुए गंगा संरक्षण व पर्यावरण संरक्षण में योगदान करना चाहिए।स्वामी दिव्यानंद महाराज व स्वामी अद्वैत मुनि महाराज ने कहा कि मानव कल्याण के लिए जीवन समर्पित करने वाले संत महापुरूषों के सानिध्य में भक्त का कल्याण होता है। धर्मनगरी हरिद्वार के संतों के श्रीमुख से प्रसारित होने वाले आध्यात्मिक संदेशों से पूरे विश्व को मार्गदर्शन प्राप्त होता है।स्वामी निर्मल दास महाराज ने कहा कि स्वामी आनन्द भास्कर महाराज भक्तों को धर्म व अध्यात्म की शिक्षा देने के साथ पर्यावरण संरक्षण के प्रति भी जागरूक कर रहे हैं,जिससे सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।इस अवसर पर स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि,महंत राघवेंद्र दास,महंत गोविंददास,महंत सूर्यांश मुनि,महंत रमन मुनि,स्वामी दिनेश दास,महंत श्यामप्रकाश,महंत जयेंद्र मुनि,महंत प्रेमदास सहित कई संत महापुरूष मौजूद रहे।
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