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राष्ट्रीय बहुधर्मी समन्वय समिति की बैठक परमार्थ निकेतन,ऋषिकेश में सम्पन्न

स्वास्थ्य,पोषण,स्वच्छता, बाल संरक्षण और शिक्षा पर गहन चिंतन मंथन




ऋषिकेश। भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक धरोहर स्थली परमार्थ निकेतन,ऋषिकेश में देश की पहली राष्ट्रीय बहुधर्मी समन्वय समिति की बैठक का आयोजन किया गया। बैठक का ग्लोबल इंटरफेश वाश एलायंस और यूनिसेफ के सहयोग से किया गया,जिसका मुख्य उद्देश्य देश के विभिन्न धर्मों,परंपराओं और विश्वास पद्धतियों के प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों को एक साझा मंच पर लाकर जल,स्वच्छता,स्वास्थ्य,पोषण,बाल संरक्षण,शिक्षा एवं जलवायु परिवर्तन जैसे विषयों पर सामूहिक दृष्टिकोण विकसित करना है।बैठक की शुरुआत दीप प्रज्वलन, अभिनन्दन और सभी धर्मगुरुओं व धार्मिक संस्थाओं के संक्षिप्त परिचय के साथ हुई।जीवा और यूनिसेफ के प्रतिनिधियों ने बैठक की भूमिका प्रस्तुत करते हुए बताया कि यह पहल क्यों आवश्यक है, इसके उद्देश्यों की व्याख्या की गई।विभिन्न धर्मगुरुओं ने साझा किया कि धर्म के माध्यम से स्वास्थ्य,पोषण,स्वच्छता,बाल संरक्षण,शिक्षा और पर्यावरण के क्षेत्रों में सकारात्मक संदेश पहुँचाना और व्यवहार में लाना संभव है।प्रतिभागियों ने पाँच मुख्य सामाजिक विषयों पर चर्चा की स्वास्थ्य,पोषण,वाश (जल,स्वच्छता और स्वच्छता),बाल संरक्षण और शिक्षा।अपने अनुभव साझा करते हुए उन्होंने समुदायों को सकारात्मक व्यवहार अपनाने हेतु उत्पन्न चुनौतियों पर विचार किया और समाधान भी सुझाए। परमार्थ निकेतन के पावन गंगा घाट पर आयोजित एक विशेष धर्मसभा के दौरान सभी धर्मगुरुओं ने मंच साझा कर एकता, समरसता और करुणा का संदेश दिया। भारत की बहुधर्मी एकता का प्रतीक है बहुधर्मी समिति का निर्माण पर जोर देते हुये प्रतिभागियों ने चर्चा की।समिति को सहभागी,सतत संवाद पर आधारित और क्रियाशील बनाने हेतु सुझाव दिए गए।समिति के लिए उपयुक्त नाम और दृष्टिकोण पर भी विचार-विमर्श हुआ। प्रतिनिधियों ने इस समिति के कार्यक्षेत्र,बैठक की आवृत्ति,कार्य समूहों की भूमिका और अन्य औपचारिकताओं पर अपनी सहमति दी,जिससे यह समिति एक स्पष्ट कार्ययोजना के साथ कार्य कर सके।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने विभिन्न धर्मों के धर्मगुरूओं और प्रतिनिधियों का अभिनन्दन करते हुये कहा कि यह यात्रा यूनाइटेड नेशंस से शुरू हुई थी और अब यूनाइटेड क्रिएशन की ओर बढ़ रही है। यह मंच धर्म की सीमाओं से ऊपर उठकर सेवा,समरसता और सतत विकास की दिशा में एक सामूहिक प्रयत्न है। धर्मों की विविधता भारत की शक्ति है। विविधता में एकता का जो अनुपम उदाहरण भारत प्रस्तुत करता है,वह पूरे विश्व के लिए प्रेरणा है।जब हम सभी एक साथ आते हैं तो निश्चित रूप से समाधान संभव हैं। उन्होंने कहा कि हम सभी को मिलकर बच्चों की मुस्कान,नारियों की गरिमा और प्रकृति के संरक्षण के लिये साथ आना होगा। बैठक में 34प्रतिष्ठित प्रतिनिधियों ने प्रतिभाग किया,हिंदू परंपरा से स्वामी चिदानन्द सरस्वती,अध्यक्ष,परमार्थ निकेतन एवं सह-संस्थापक जीवा,मानस कथाव्यास संत मुरलीधर,स्वामी भक्तवत्सल दास और स्वामी गुणसागर दास,सिक्ख समुदाय से सरदार परमजीत सिंह चण्डोक, प्रमुख,दिल्ली गुरुद्वारा कमेटी,गुरु साहिब सिंह और परमपाल सिंह,मुस्लिम समुदाय से मुफ्ती शमून कासमी,अध्यक्ष,उत्तराखंड मदरसा बोर्ड,सैयद अब्बास मुरतजा शाम्सी ,शिक्षाविद एवं सामाजिक नेता जैन,बौद्ध और ईसाई परंपराओं से स्वामी विवेक मुनि,जैन संत,अनिल कुमार जैन,निदेशक ,महाबोधि मेडिटेशन सेंटर,फादर थुम्मा,सचिव,सीबीसीआई इंटरफेथ संवाद विभाग ,सिस्टर लूसी कुरियन,‘महर’संस्था की संस्थापक,बहाई प्रतिनिधि,ए.के.मर्चेंट,लोटस टेम्पल ट्रस्टी, अनुसूचित जाति, सामाजिक समावेशन एवं महिला नेतृत्व से डॉ.शंकर कुमार सन्याल,अध्यक्ष,हरिजन सेवा संघ,श्रीमती उर्मिला श्रीवास्तव,संजय राय,नरेश यादव ,भगवान शर्मा,अंतरधार्मिक एवं युवा प्रतिनिधि डॉ.मार्कंडेय राय,अध्यक्ष,ग्लोबल पीस फाउंडेशन ,भव्य श्रीवास्तव,क्षेत्रीय निदेशक,यूनाइटेड रिलीजन इनीशिएटिव (यूआरआई),यश धमीजा,रिलिज़न फार पीस इन्डिया डॉ.सुप्रीत कौर,अध्यक्ष,इकोसिख इंडिया डॉ.विभा रानी स्वर्गियारी,सहायक प्राध्यापक,असम डॉन बॉस्को यूनिवर्सिटी,यूनिसेफ इंडिया से डेनिस लार्सन,सुरेश परमार,सदीक अहमद,लोपा मुद्रा त्रिपाठी,शालिनी प्रसाद,यूनिसेफ के वरिष्ठ अधिकारी एवं विषय विशेषज्ञ,जीवा से गंगा नन्दिनी त्रिपाठी और अनेक विशिष्ट विभूतियों की गरिमामयी उपस्थिति रही। अंत में सभी प्रतिभागियों ने सामाजिक कल्याण हेतु सामूहिक संकल्प लिया और अपने उत्तरदायित्वों को स्पष्ट रूप से समझते हुए आगे बढ़ने का निश्चय किया। बैठक के उपरांत सभी प्रतिनिधियों ने पावन गंगा आरती में सहभाग किया,जहाँ जल संरक्षण, महिला सशक्तिकरण और पर्यावरण सुरक्षा हेतु सामूहिक प्रार्थना और संकल्प किए गए। 

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