उच्च न्यायालय,नैनीताल ने केन्द्रीय शिक्षा विभाग के आदेश पर लगायी रोक
हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय में आज उच्च न्यायालय,नैनीताल का आदेश आने के बाद शिक्षकेत्तर कर्मचारी यूनियन के पदाधिकारियों ने कुलपति प्रो.हेमलता के. व दीनानाथ शर्मा को मिठाई और फूल माला पहनाकर खुशियां मनाई।इस अवसर पर कुलपति प्रो.हेमलता के.ने कहा कि उच्च न्यायालय के आदेश की सभी लोगों ने खुले दिल से तारीफ की है।03 मार्च,2025 को भारत सरकार ने सभाओं के हाथ में समविश्वविद्यालय की कमान सौंप दी थी।आज उच्च न्यायालय,नैनीताल का आदेश और पत्र स्टे होने से खुशियों का माहौल है। उच्च न्यायालय उत्तराखंड ने शिक्षा मंत्रालय भारत सरकार द्वारा दिनांक 03 मार्च 2025 को जारी उस पत्र के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी जिसमें गुरुकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय की प्रायोजक संस्थाओं को कुछ शर्तों सहित आगामी तीन वर्षों के लिए यू.जी.सी.रेगूलेशन्स 2019के अनुसार ही विश्वविद्यालय का संचालन जारी रखने की अनुमति प्रदान कर दी थी। उल्लेखनीय है कि 2 जून 2023 को भारत सरकार ने सभी डीम्ड विश्वविद्यालयों के लिए यू.जी.सी.रेगूलेशन्स 2023 लागू कर दी थी जिसके अन्तर्गत ऐसे डीम्ड विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति और कुलपति की नियुक्ति भारत सरकार द्वारा की जानी थी जिनको 50प्रतिशत से अधिक अनुदान प्राप्त होता है।डा.दीनानाथ शर्मा ने बताया कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय भारत के उन मात्र पांच डीम्ड विश्वविद्यालयों में से एक है,जिन्हें भारत सरकार शत प्रतिशत अनुदान करती है।अभी तक विश्वविद्यालय में कुलाधिपति और कुलपति की नियुक्तियां इसकी प्रायोजक संस्थाओं आर्य प्रतिनिधि सभा पंजाब,आर्य प्रतिनिधि सभा हरियाणा तथा दिल्ली आर्य प्रतिनिधि सभा द्वारा संयुक्त रूप से की जाती रही है।वर्ष 2023 में नई रेगूलेशन्स आने के बाद सभाओं का यह अधिकार छिन गया था जिसके लिए सभाएं अपना विरोध दर्ज करती रही।अन्ततः शिक्षा मंत्रालय ने 03 मार्च 2025 को सभाओं को सम्बोधित करते हुए एक पत्र जारी किया,जिसमें गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को वर्ष 2027-28 तक यू.जी.सी.रेगुलेशन 2019 के अनुसार ही संचालित करने की अनुमति प्रदान कर दी गयी।इस प्रकार सभाओं को विश्वविद्यालय के कुलाधिपति तथा कुलपति पदों पर नियुक्ति का अधिकार फिर से को प्राप्त हो गया था। सभाओं में विश्वविद्यालय पर वर्चस्व को लेकर प्रायःसंघर्ष की स्थिति बनी रहती है जिससे विश्वविद्यालय की प्रगति बाधित होती रही है।सरकार के इस निर्णय से विश्वविद्यालय में वर्चस्व की जंग में वृद्धि की स्थिति उत्पन्न हो गयी थी।सभाओं ने यहां तक भी अपना मत व्यक्त किया कि भले ही अनुदान 50 प्रतिशत से भी कम हो जाये लेकिन विश्वविद्यालय पर उनका वर्चस्व बना रहना चाहिए। इसको लेकर विश्वविद्यालय के शिक्षकों एवं कर्मचारियों में अनेक प्रकार की आशंकाएं एवं भविष्य की स्थिति को लेकर असमंजस पैदा हो गयी थी।इन सब मुद्दों को उठाते हुए विश्वविद्यालय के पूर्व सीनेटर डॉ.दीनानाथ शर्मा ने एक पिटीशन उच्च न्यायालय नैनीताल में दायर की जिसमें उन्होंने इस विषय को प्रमुखता से उठाया कि जो रेगुलेशन (2019) भारत सरकार के गजट नोटिफिकेशन के माध्यम से समाप्त हो चुकी है, उन्हें अब विश्वविद्यालय पर कैसे लागू रखा जा सकता है।इस पर उच्च न्यायालय ने मंत्रालय के पत्र दिनांक 03 मार्च 2025 के क्रियान्वयन पर रोक लगाते हुए केन्द्र सरकार से जवाब तलब किया है। अपने अन्तरिम आदेश में उच्च न्यायालय ने विश्वविद्यालय के नये कुलाधिपति तथा कुलपति की विधिवत नियुक्ति होने तक वर्तमान कुलाधिपति तथा कुलपति का कार्यकाल भी जारी रखने का आदेश दिया है।उच्च न्यायालय के आदेश से विश्वविद्यालय के शिक्षकों तथा कर्मचारियों में हर्ष का माहौल है।शिक्षकेतर कर्मचारी यूनियन के अध्यक्ष रजनीश भारद्वाज तथा महामंत्री नरेन्द्र मलिक ने उच्च न्यायालय के अंतरिम आदेश का स्वागत करते हुए कर्मचारियों को बधाई दी तथा डॉ.दीनानाथ शर्मा का धन्यवाद ज्ञापित किया है। इस अवसर पर प्रो.प्रभात कुमार,प्रो.डी.एस.मलिक,प्रो. ब्रह्मदेव,डा.वेदव्रत,डा.बबलू वेदालंकार,डा.उधम सिंह,डा.देवेन्द्र कुमार गुप्ता,डा.कुशवाहा दिलीप कुमार,डा.अजित सिंह तोमर, प्रो.कर्मजीत भाटिया,प्रो.विवेक कुमार,डा.महेन्द्र सिंह असवाल,प्रो.मुकेश कुमार,डा.हरीश चन्द्र,डा.राकेश भूटियानी,डा.विपिन कुमार,डा.ऋषि शुक्ला,डा.राजुल भारद्वाज,डा.अजय मलिक,डा.सुनील कुमार,डा.एम.एम.तिवारी,डा.विपुल शर्मा,गजेन्द्र सिंह,दीपक वर्मा,उमाशंकर ,डा.सचिन पाठक,अनिरुद्ध यादव,अरुण पाल,देवेश उनियाल,कमल सिंह पुंडीर,मनोज कुमार ,प्रकाश तिवारी,वीरेंद्र पटवाल,तरुण कुमार,विक्रम सहित समस्त कर्मचारियों ने खुशियां मनाई।
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