स्ंात समाज ने दी ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य को श्रद्धांजलि
हरिद्वार। ब्रहमलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज की 34वीं पुण्यतिथी पर रेलवे रोड़ स्थित श्रीसुदर्शन आश्रम में आश्रम परमाध्यक्ष महंत रघुवीर दास महाराज के संयोजन में आयोजित गुरू स्मृति महोत्सव में संत समाज और अतिथियों ने ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की।श्रद्धांजलि सभा को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि कैबिनेट मंत्री सौरभ बहुगुणा ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड के संतों के श्रीमुख से प्रसारित होने वाले आध्यात्मिक संदेशों से पूरे विश्व को मार्गदर्शन मिलता है।समाज को धर्म और अध्यात्म के मार्ग पर अग्रसर करने में विद्वान संत ब्रह्मलीन श्रीमहंत सारस्वत्याचार्य महाराज का अतुलनीय योगदान रहा।उन्होंने कहा कि गुरू कृपा और आर्शीवाद से ही शिष्य का कल्याण होता है।महंत रघुवीरदास महाराज की उनके गुरू के प्रति अगाध श्रद्धा और भक्ति सभी के लिए प्रेरणादायी है।कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए जगद्गुरू नामाद्वाराचार्य स्वामी सुतिक्ष्ण देवाचार्य महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सारस्वत्याचार्य महाराज संत समाज की महान विभूति थे। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रचार में उनका योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा।सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेते हुए मानव कल्याण में योगदान का संकल्प लेना चाहिए।महंत रघुवीर दास महाराज जिस प्रकार अपने गुरू के अधूरे कार्यो को आगे बढ़ा रहे है।वह बेहद सराहनीय है।महंत रघुवीर दास महाराज ने सभी संत महापुरूषों और अतिथीयों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि वे सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें गुरू के रूप में ब्रह्मलीन श्रीमहंत सारस्वत्याचार्य महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ।पूज्य गुरूदेव के दिखाए मार्ग और शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए आश्रम की सेवा संस्कृति को आगे बढ़ाना ही उनके जीवन का उद्देश्य है।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन श्रीमहंत सरस्वतयाचार्य महाराज संत समाज के प्रेरणास्रोत और त्याग,तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थे।उनकी पुण्यतिथि पर उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव सेवा संकल्प ही उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि है। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी ललितांनंद गिरी,स्वामी भगवत स्वरूप,बाबा हठयोगी,महंत नारायण दास पटवारी,महंत बिहारी शरण,स्वामी रविदेव शास्त्री,स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि,महंत जयराम दास,महंत घनश्याम दास,महंत गणेश दास,स्वामी हरिवल्लभदास शास्त्री,स्वामी हरिहरानंद,जमना संतोषी माता,महंत सर्वानंद,मनीष चौधरी,विक्रम भुल्लर,सूर्यकांत धस्माना,सुरेश वशिष्ठ सहित बड़ी संख्या में संत महंत और श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।
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