जनभावनाओं से जुड़े हैं वर्तमान नाम, बदलने से उत्पन्न हो सकता है असंतोष-रवि बहादुर
हरिद्वार। विधायक रवि बहादुर ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर खेल परिसरों के नाम यथावत रखे जाने का आग्रह किया है। पत्र में विधायक ने कहा है कि स्टेडियमो के वर्तमान नाम जनभावनाओं से जुड़े हैं।नाम बदलने से असंतोष उत्पन्न हो सकता है। कहा कि वंदना कटारिया स्टेडियम राज्य की शान है। वंदना कटारिया से लेकर महाराणा प्रताप तक हर नाम गौरव का प्रतीक है। ज्वालापुर विधानसभा क्षेत्र के कांग्रेस विधायक इंजीनियर रवि बहादुर ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को पत्र लिखकर राज्य के खेल परिसरों के नामों में बदलाव के प्रस्ताव पर आपत्ति जताई है।उन्होंने मांग की है कि परिसरों के नाम वर्तमान स्वरूप में ही रखे जाएं। वर्तमान नाम न केवल खिलाड़ियों की उपलब्धियों से जुड़े हैं, बल्कि राज्य की जनता की भावनाओं का भी प्रतिनिधित्व करते हैं।पत्र में रवि बहादुर कहा है कि हाल ही में यह संज्ञान में आया है कि राज्य सरकार द्वारा खेल परिसरों के नाम बदले जा रहे हैं।हालांकि खेल विभाग ने स्पष्ट किया है कि स्टेडियमों के नामों में कोई परिवर्तन नहीं किया गया,बल्कि सम्पूर्ण खेल परिसर को एक विशेष नाम दिया गया है। इसके बावजूद,विधायक ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाए हैं।पत्र में विधायक ने राज्य के प्रमुख खेल परिसरों का उल्लेख करते हुए कहा है कि देहरादून स्थित महाराणा प्रताप स्पोर्ट्स कॉलेज में राजीव गांधी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट सोसाइटी है। महाराणा प्रताप भारतीय इतिहास के वीर प्रतीक हैं और राजीव गांधी देश के पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न से सम्मानित नेता रहे हैं। हल्द्वानी के तारुणताल गौलापार खेल परिसर में इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हॉकी ग्राउंड है।इंदिरा गांधी देश की पहली महिला प्रधानमंत्री और“आयरन लेडी” के रूप में प्रसिद्ध हैं।रुद्रपुर का मनोज सरकार स्टेडियम एक पैरालंपिक पदक विजेता खिलाड़ी के नाम पर है,जो राज्य के लिए गौरव का विषय है। हरिद्वार स्थित वंदना कटारिया हॉकी स्टेडियम का नाम देश की राष्ट्रीय महिला हॉकी खिलाड़ी वंदना कटारिया के नाम पर रखा गया है।वंदना कटारिया अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर चुकी हैं।विधायक ने कहा कि वंदना कटारिया दलित समाज आती हैं और महिला खिलाड़ी के रूप में देश की प्रेरणा हैं।वंदना कटारिया जैसे खिलाड़ियों का नाम खेल परिसरों से हटाना राज्य के खिलाड़ियों और जनता की भावनाओं को आहत कर सकता है।उन्होंने कहा कि ये नाम सिर्फ भवनों के नहीं बल्कि राज्य के आत्मसम्मान,गौरव और प्रेरणा के प्रतीक हैं।उन्होंने मुख्यमंत्री से अपील की कि देश और राज्य की जनभावनाओं का सम्मान करते हुए सभी खेल परिसरों के नाम यथावत रखे जाएं और किसी प्रकार का बदलाव न किया जाए।
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