हरिद्वार। गुरूवार को मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में जनपद के पेयजल विहीन आंगनबाड़ी केंद्र भवनों में पेयजल की व्यवस्था किए जाने के संबंध में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में 15अगस्त तक जनपद में संचालित कुल 3179आंगनबाड़ी केंद्रों में से 635 पेयजल विहीन आंगनबाड़ी केंद्रों में जल संयोजन का कार्य पूर्ण कराए जाने के निर्देश जारी किए गए। बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद हरिद्वार में वित्तीय वर्ष 2024-25 में 842 पेयजल विहीन आंगनबाड़ी केंद्र भवनों हेतु 17,000-(सत्रह हजार रुपये मात्र) प्रति केंद्र की दर से कुल 1,43,14,000/-(एक करोड़ तैंतालीस लाख चौदह हजार रुपये मात्र) की धनराशि पी.एफ.एम.एस.के माध्यम से कार्यदायी संस्था जल संस्थान के खाते में अंतरित कर दी गई थी।जनपद में संचालित कुल 3179आंगनबाड़ी केंद्रों में से 951विभागीय आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें से 635 आंगनबाड़ी केंद्र भवन अभी भी पेयजल विहीन हैं,जिनमें जल संयोजन का कार्य कराया जाना है;इसके अतिरिक्त,शेष सभी आंगनबाड़ी केंद्र भवनों में जल संयोजन की पूर्ण व्यवस्था है।पेयजल विहीन आंगनबाड़ी केंद्र भवनों की सूची विभाग द्वारा जल संस्थान को प्रेषित कर दी गई है। सहायक अभियंता,जल संस्थान द्वारा अवगत कराया गया कि वर्तमान में क्षेत्रीय भ्रमण कर डी.पी.आर.निर्माण का कार्य किया जा रहा है। मुख्य विकास अधिकारी ने जल संस्थान को इस माह के अंत तक डी.पी.आर. एवं टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण करने तथा 15अगस्त तक सभी पेयजल विहीन आंगनबाड़ी केंद्रों में शासनादेश में निहित प्रावधानों के अनुसार जल संयोजन की व्यवस्था पूर्ण करने के कड़े निर्देश दिए। जल संयोजन की व्यवस्था चाइल्ड फ्रेंडली (बाल सुलभ) होनी चाहिए। अतिरिक्त धनराशि की व्यवस्था मनरेगा मद से कराई जाए। प्रति केंद्र 17,000/-(सत्रह हजार रुपये मात्र) की धनराशि का आवंटन किया गया है;यदि किसी केंद्र में इससे कम धनराशि का व्यय होता है, तो बचत की स्थिति में उसी आंगनबाड़ी केंद्र में ही शेष धनराशि से किचन/शौचालय इत्यादि की मरम्मत का कार्य करवाया जाए। बैठक में निम्नलिखित समिति के सदस्य श्रीमती आकांक्षा कोंडे,मुख्य विकास अधिकारी;श्रीमती सुलेखा सहगल,जिला कार्यक्रम अधिकारी,बाल विकास, हरिद्वार;संजय कुमार,सहायक अभियंता,जल संस्थान,हरिद्वार;श्रीमती योगिता सिंह,प्रधान सहायक ,जिला कार्यक्रम कार्यालय,बाल विकास, हरिद्वार उपस्थित रहे
हरिद्वार। गुरूवार को मुख्य विकास अधिकारी की अध्यक्षता में जनपद के पेयजल विहीन आंगनबाड़ी केंद्र भवनों में पेयजल की व्यवस्था किए जाने के संबंध में बैठक का आयोजन किया गया। बैठक में 15अगस्त तक जनपद में संचालित कुल 3179आंगनबाड़ी केंद्रों में से 635 पेयजल विहीन आंगनबाड़ी केंद्रों में जल संयोजन का कार्य पूर्ण कराए जाने के निर्देश जारी किए गए। बैठक में जिला कार्यक्रम अधिकारी द्वारा अवगत कराया गया कि जनपद हरिद्वार में वित्तीय वर्ष 2024-25 में 842 पेयजल विहीन आंगनबाड़ी केंद्र भवनों हेतु 17,000-(सत्रह हजार रुपये मात्र) प्रति केंद्र की दर से कुल 1,43,14,000/-(एक करोड़ तैंतालीस लाख चौदह हजार रुपये मात्र) की धनराशि पी.एफ.एम.एस.के माध्यम से कार्यदायी संस्था जल संस्थान के खाते में अंतरित कर दी गई थी।जनपद में संचालित कुल 3179आंगनबाड़ी केंद्रों में से 951विभागीय आंगनबाड़ी केंद्र हैं, जिनमें से 635 आंगनबाड़ी केंद्र भवन अभी भी पेयजल विहीन हैं,जिनमें जल संयोजन का कार्य कराया जाना है;इसके अतिरिक्त,शेष सभी आंगनबाड़ी केंद्र भवनों में जल संयोजन की पूर्ण व्यवस्था है।पेयजल विहीन आंगनबाड़ी केंद्र भवनों की सूची विभाग द्वारा जल संस्थान को प्रेषित कर दी गई है। सहायक अभियंता,जल संस्थान द्वारा अवगत कराया गया कि वर्तमान में क्षेत्रीय भ्रमण कर डी.पी.आर.निर्माण का कार्य किया जा रहा है। मुख्य विकास अधिकारी ने जल संस्थान को इस माह के अंत तक डी.पी.आर. एवं टेंडर की प्रक्रिया पूर्ण करने तथा 15अगस्त तक सभी पेयजल विहीन आंगनबाड़ी केंद्रों में शासनादेश में निहित प्रावधानों के अनुसार जल संयोजन की व्यवस्था पूर्ण करने के कड़े निर्देश दिए। जल संयोजन की व्यवस्था चाइल्ड फ्रेंडली (बाल सुलभ) होनी चाहिए। अतिरिक्त धनराशि की व्यवस्था मनरेगा मद से कराई जाए। प्रति केंद्र 17,000/-(सत्रह हजार रुपये मात्र) की धनराशि का आवंटन किया गया है;यदि किसी केंद्र में इससे कम धनराशि का व्यय होता है, तो बचत की स्थिति में उसी आंगनबाड़ी केंद्र में ही शेष धनराशि से किचन/शौचालय इत्यादि की मरम्मत का कार्य करवाया जाए। बैठक में निम्नलिखित समिति के सदस्य श्रीमती आकांक्षा कोंडे,मुख्य विकास अधिकारी;श्रीमती सुलेखा सहगल,जिला कार्यक्रम अधिकारी,बाल विकास, हरिद्वार;संजय कुमार,सहायक अभियंता,जल संस्थान,हरिद्वार;श्रीमती योगिता सिंह,प्रधान सहायक ,जिला कार्यक्रम कार्यालय,बाल विकास, हरिद्वार उपस्थित रहे
Comments
Post a Comment