हरिद्वार। श्रीअखंड परशुराम अखाड़े की ओर से जिला कारागर रोशनाबाद में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन कथाव्यास महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह की कथा श्रवण कराते हुए बताया कि जब माता सती ने दक्ष यज्ञ में अपने शरीर का त्याग कर दिया और ब्रह्मा से केवल शिव पुत्र के हाथों ही मृत्यु का वरदान तारकासुर ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया।तारकासुर के अत्याचार से दुखी सभी देवता भगवान नारायण की शरण में गए।भगवान नारायण ने कहा कि मां भगवती की उपासना करो।सभी देवताओं ने मिलकर मां भगवती की उपासना की। प्रसन्न होकर मां भगवती ने हिमाचल के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। पिता हिमाचल और मां मैना ने उनका नाम पार्वती रखा।शिव को पाने के लिए पार्वती ने कठोर तप किया।माता पार्वती की कठोर साधना से शिव प्रसन्न हो गए और उनका माता पार्वती के साथ विवाह संपन्न हुआ। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया। श्री अखंड परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने बताया कि कथा के प्रभाव से जेल में सजा काट रहे बंदियों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिलेगा और वे सही मार्ग का अनुसरण करते देश व समाज की प्रगति में योगदान करेंगे।इस दौरान परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव भागवताचार्य पंडित पवनकृष्ण शास्त्री,आचार्य विष्णु शर्मा,आचार्य संजय शर्मा, सत्यम शर्मा,कुलदीप चौहान,रूपेश कौशिक,विष्णु गौड़,जितेंद्र सैनी,मनोज कुमार, अनिल तिवारी, राहुल शर्मा,मनोज ठाकुर,बृजमोहन शर्मा,जलज कौशिक सहित जेल मंें बंद कैदियों ने कथा श्रवण का लाभ लिया।
हरिद्वार। श्रीअखंड परशुराम अखाड़े की ओर से जिला कारागर रोशनाबाद में आयोजित श्री शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन कथाव्यास महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती महाराज ने माता पार्वती और भगवान शिव के विवाह की कथा श्रवण कराते हुए बताया कि जब माता सती ने दक्ष यज्ञ में अपने शरीर का त्याग कर दिया और ब्रह्मा से केवल शिव पुत्र के हाथों ही मृत्यु का वरदान तारकासुर ने उत्पात मचाना शुरू कर दिया।तारकासुर के अत्याचार से दुखी सभी देवता भगवान नारायण की शरण में गए।भगवान नारायण ने कहा कि मां भगवती की उपासना करो।सभी देवताओं ने मिलकर मां भगवती की उपासना की। प्रसन्न होकर मां भगवती ने हिमाचल के घर पुत्री के रूप में जन्म लिया। पिता हिमाचल और मां मैना ने उनका नाम पार्वती रखा।शिव को पाने के लिए पार्वती ने कठोर तप किया।माता पार्वती की कठोर साधना से शिव प्रसन्न हो गए और उनका माता पार्वती के साथ विवाह संपन्न हुआ। इसके बाद भगवान शिव और माता पार्वती के पुत्र कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया। श्री अखंड परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर कौशिक ने बताया कि कथा के प्रभाव से जेल में सजा काट रहे बंदियों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन मिलेगा और वे सही मार्ग का अनुसरण करते देश व समाज की प्रगति में योगदान करेंगे।इस दौरान परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव भागवताचार्य पंडित पवनकृष्ण शास्त्री,आचार्य विष्णु शर्मा,आचार्य संजय शर्मा, सत्यम शर्मा,कुलदीप चौहान,रूपेश कौशिक,विष्णु गौड़,जितेंद्र सैनी,मनोज कुमार, अनिल तिवारी, राहुल शर्मा,मनोज ठाकुर,बृजमोहन शर्मा,जलज कौशिक सहित जेल मंें बंद कैदियों ने कथा श्रवण का लाभ लिया।
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