शांतिकुंज में गुरुपूर्णिमा महापर्व के दूसरे दिन हुए विविध कार्यक्रम
हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज में चल रहे तीन दिवसीय गुरुपूर्णिमा महापर्व के दूसरे दिन भावपूर्ण आध्यात्मिक वातावरण में विविध कार्यक्रमों का आयोजन हुआ।दिन की शुरुआत ध्यान-साधना से हुई,जिसके पश्चात् चौबीस घंटे के गायत्री महामंत्र अखण्ड जप और हवन का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में देश-विदेश से पधारे हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। गुरुपूर्णिमा महापर्व के पूर्व संध्या में साधकों को दिये अपने संदेश में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ.चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि गुरुपूर्णिमा सद्गुरु की महाकृपा को अनुभव करने का पर्व के साथ ही यह शिष्य के समर्पण और साधना की पूर्णता का भी प्रतीक है। उन्होंने कहा कि जब शिष्य समर्पण के साथ अपने अहं को विसर्जित करता है,तभी शिष्योऽहम् की दिव्य अनुभूति होती है। सद्गुरु ही शिष्य के जीवन के केंद्र में विराजमान हो जाते हैं,और उनके रोम-रोम में समा जाते हैं।डॉ.पण्ड्या ने कहा कि गुरु की कृपा से ही तत्त्वज्ञान, आत्मबोध और ईश्वर की कृपा सहज सुलभ हो जाती है। उन्होंने जीवन में साधना की आवश्यकता और उसका महत्त्व भी रेखांकित किया। युवा आइकॉन ने कहा कि आज के समय में जब दिशाहीनता और मानसिक तनाव बढ़ रहा है,तब गुरुतत्त्व ही ऐसा पथप्रदर्शक है,जो व्यक्ति को आत्मिक बल,नैतिक दृष्टि और जीवन की सही दिशा प्रदान करता है। इससे पूर्व शांतिकुंज महिला मण्डल की प्रमुख श्रीमती शैफाली पण्ड्या ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि परम वंदनीया माताजी भगवती देवी शर्मा जी का सम्पूर्ण जीवन तप,साधना और संवेदना की जीती-जागती प्रतिमूर्ति रहा है।उन्होंने पचास के दशक से नारी जागरण, आत्मनिर्भरता और शिक्षण जैसे अभियानों का संचालन किया,जिसके परिणामस्वरूप आज लाखों बहिनें सुशिक्षित होकर समाज निर्माण में अग्रणी भूमिका निभा रही हैं। उन्होंने सभ्य व सुसंस्कृत समाज के लिए नारी की सुरक्षा,शिक्षा,स्वावलंबन और संस्कार को महत्त्वपूर्ण बताया। शांतिकुंज व्यवस्थापक योगेन्द्र गिरि ने कहा कि दैवीय अभियान में सच्चे मन से जुड़ना सौभाग्य को जगाने जैसा है।जोनल समन्वयक डॉ.ओ.पी.शर्मा ने यज्ञीय परंपरा और गायत्री माता की भूमिका पर विस्तृत जानकारी दी। शांतिकुंज मीडिया विभाग ने बताया कि गुरुपूर्णिमा महापर्व का मुख्य कार्यक्रम गुरुवार को आयोजित होगा,इस दौरान अखिल विश्व गायत्री परिवार के प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी द्वारा सैकड़ों नवसाधकों को गायत्री मंत्र दीक्षा प्रदान की जाएगी।
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