हरिद्वार। श्रीअखंड़ परशुराम अखाड़े द्वारा पुलवामा आतंकी हमले में मारे गए लोगों के निमित्त जिला कारगर रोशनाबाद में आयोजित श्रीशिव महापुराण कथा के तीसरे दिन कथाव्यास महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने शिव सती चरित्र का श्रवण कराते हुए बताया कि एक बार दक्ष प्रजापति ने सभा बुलाई।सभा में सभी देवी देवता,ऋषि,मुनि और ब्रह्मा,विष्णु व शिव भी उपस्थित थे।दक्ष देर से सभा में पहुंचे।सभी ने उठकर दक्ष का स्वागत किया।परंतु शिव ध्यान में थे।दक्ष ने शिव को अपशब्द कह कर अपमान किया।शिव कुछ न कह कर कैलाश चले गए।इसके बाद दक्ष ने शिव का अपमान करने के लिए कनखल में यज्ञ का आयोजन किया। उन्होंने शिव को छोड़कर सभी को यज्ञ में बुलाया।दक्ष पुत्री सती बिना शिव आज्ञा के यज्ञ में पहुंची। शिव का तिरस्कार देख सती को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। शिव को जब इसका पता चला तो शिव ने वीरभद्र को उत्पन कर दक्ष के यज्ञ को विध्वंश करने की आज्ञा दी। वीरभद्र एवं शिव के गणों ने यज्ञ को विध्वंश कर दिया और दक्ष के सर को काटकर यज्ञ में स्वाहा कर दिया।तब सभी ने भगवान शिव की स्तुति की भगवान शिव प्रसन्न हो गए और दक्ष के धड़ से बकरे का सिर जोड़ दिया।स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कभी भी भगवान शिव का अनादर तिरस्कार नहीं करना चाहिए। जब हम भगवान शिव की आराधना करते हैं और उनका सम्मान करते हैं तो वे प्रसन्न होकर हमारी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। श्रीअखंड परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर ने कहा कि प्रत्येक समर्थवान व्यक्ति को भगवान शिव की कथाओं का आयोजन करना चाहिए। इस अवसर पर जेल अधीक्षक मनोज आर्य,महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी,पवनकृष्ण शास्त्री ,आचार्य विष्णु शर्मा,आचार्य संजय शर्मा,जलज कौशिक,रूपेश कौशिक,विष्णु गौड़,विवेक मिश्रा ,भारत भूषण भारद्वाज,सुनील तिवारी,बृजमोहन शर्मा,कुलदीप शर्मा,मनोज ठाकुर,सुमित चावला , अमित कुमार,बलविंदर चौधरी,संजय शर्मा,नवनीत मोहन,मुकेश शर्मा,शंभू शर्मा,जतिन कुमार शर्मा ने कथा श्रवण का लाभ उठाया।
हरिद्वार। श्रीअखंड़ परशुराम अखाड़े द्वारा पुलवामा आतंकी हमले में मारे गए लोगों के निमित्त जिला कारगर रोशनाबाद में आयोजित श्रीशिव महापुराण कथा के तीसरे दिन कथाव्यास महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने शिव सती चरित्र का श्रवण कराते हुए बताया कि एक बार दक्ष प्रजापति ने सभा बुलाई।सभा में सभी देवी देवता,ऋषि,मुनि और ब्रह्मा,विष्णु व शिव भी उपस्थित थे।दक्ष देर से सभा में पहुंचे।सभी ने उठकर दक्ष का स्वागत किया।परंतु शिव ध्यान में थे।दक्ष ने शिव को अपशब्द कह कर अपमान किया।शिव कुछ न कह कर कैलाश चले गए।इसके बाद दक्ष ने शिव का अपमान करने के लिए कनखल में यज्ञ का आयोजन किया। उन्होंने शिव को छोड़कर सभी को यज्ञ में बुलाया।दक्ष पुत्री सती बिना शिव आज्ञा के यज्ञ में पहुंची। शिव का तिरस्कार देख सती को क्रोध आ गया और उन्होंने अपने प्राण त्याग दिए। शिव को जब इसका पता चला तो शिव ने वीरभद्र को उत्पन कर दक्ष के यज्ञ को विध्वंश करने की आज्ञा दी। वीरभद्र एवं शिव के गणों ने यज्ञ को विध्वंश कर दिया और दक्ष के सर को काटकर यज्ञ में स्वाहा कर दिया।तब सभी ने भगवान शिव की स्तुति की भगवान शिव प्रसन्न हो गए और दक्ष के धड़ से बकरे का सिर जोड़ दिया।स्वामी रामेश्वरानंद सरस्वती ने बताया कभी भी भगवान शिव का अनादर तिरस्कार नहीं करना चाहिए। जब हम भगवान शिव की आराधना करते हैं और उनका सम्मान करते हैं तो वे प्रसन्न होकर हमारी मनोकामनाओं को पूर्ण करते हैं। श्रीअखंड परशुराम अखाड़े के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित अधीर ने कहा कि प्रत्येक समर्थवान व्यक्ति को भगवान शिव की कथाओं का आयोजन करना चाहिए। इस अवसर पर जेल अधीक्षक मनोज आर्य,महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी,पवनकृष्ण शास्त्री ,आचार्य विष्णु शर्मा,आचार्य संजय शर्मा,जलज कौशिक,रूपेश कौशिक,विष्णु गौड़,विवेक मिश्रा ,भारत भूषण भारद्वाज,सुनील तिवारी,बृजमोहन शर्मा,कुलदीप शर्मा,मनोज ठाकुर,सुमित चावला , अमित कुमार,बलविंदर चौधरी,संजय शर्मा,नवनीत मोहन,मुकेश शर्मा,शंभू शर्मा,जतिन कुमार शर्मा ने कथा श्रवण का लाभ उठाया।
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