हरिद्वार।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कांवड़ियों से कांवड़ नियमों का पालन करने की अपील की है। चरण पादुका मंदिर में पत्रकारों से बात करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कांवड़ का स्वरूप निरंतर बदल रहा है।इस बार देखने में आ रहा है कि कुछ कांवड़िए कलशों में अत्यधिक मात्रा में गंगाजल लेकर जा रहे हैं।जिससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की परेशानियों का सामना कर पड़ सकता है।श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कुछ कांवड़िए कलशों में ढाई सौ लीटर से पांच सौ लीटर तक ंगंगा जल ले जा रहे हैं। इतना ज्यादा वजन उठाने से कंधे व रीढ़ की हड्डी में गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।उन्होंने अपील करते हुए कहा कि भगवान शिव मात्र एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं।गंगाजल की एक बूंद सामान्य जल में मिलाने से सामान्य जल भी गंगाजल के समान हो जाता है।इसलिए अपनी शारीरिक क्षमता के अनुरूप ही जल उठाएं। अत्यधिक मात्रा में गंगाजल उठाकर अपने स्वास्थ्य को संकट में ना डालें। इस अवसर पर गोल्डन बाबा, महंत दिनेश गिरी, भारत माता मंदिर के महंत महामंडलेश्र स्वामी ललितानंद गिरी,महंत राजगिरी मौजूद रहे।
हरिद्वार।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कांवड़ियों से कांवड़ नियमों का पालन करने की अपील की है। चरण पादुका मंदिर में पत्रकारों से बात करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कांवड़ का स्वरूप निरंतर बदल रहा है।इस बार देखने में आ रहा है कि कुछ कांवड़िए कलशों में अत्यधिक मात्रा में गंगाजल लेकर जा रहे हैं।जिससे उन्हें स्वास्थ्य संबंधी कई तरह की परेशानियों का सामना कर पड़ सकता है।श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि कुछ कांवड़िए कलशों में ढाई सौ लीटर से पांच सौ लीटर तक ंगंगा जल ले जा रहे हैं। इतना ज्यादा वजन उठाने से कंधे व रीढ़ की हड्डी में गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।उन्होंने अपील करते हुए कहा कि भगवान शिव मात्र एक लोटा जल से ही प्रसन्न हो जाते हैं।गंगाजल की एक बूंद सामान्य जल में मिलाने से सामान्य जल भी गंगाजल के समान हो जाता है।इसलिए अपनी शारीरिक क्षमता के अनुरूप ही जल उठाएं। अत्यधिक मात्रा में गंगाजल उठाकर अपने स्वास्थ्य को संकट में ना डालें। इस अवसर पर गोल्डन बाबा, महंत दिनेश गिरी, भारत माता मंदिर के महंत महामंडलेश्र स्वामी ललितानंद गिरी,महंत राजगिरी मौजूद रहे।
Comments
Post a Comment