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बच्चों को आधुनिकता की उड़ान और संस्कृति की जड़ दोनों दें-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

 बच्चों को केवल सूचना नहीं,दृष्टि दीजिए सूचना नहीं, संयम की शिक्षा जरूरी


ऋषिकेश।परमार्थ निकेतन में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पावन अवसर पर स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने संदेश दिया कि सनातन संस्कृति में गहराई और तकनीक में दक्षता ही बच्चों का उज्ज्वल भविष्य सुनिश्चित कर सकती है।श्री नट्टू भाई के श्री मुख से हो हो रही श्रीमद् भागवत कथा ज्ञानयज्ञ के शुभ अवसर पर आज कथा में श्रद्धा,भक्ति और ज्ञान की दिव्य गंगा प्रवाहित हुई। कथा श्रवण हेतु गुजरात सहित देश के अन्य राज्यों से आये श्रद्धालुओं ने मां गंगा के तट पर स्थित परमार्थ निकेतन में आयोजित गंगा आरती,यज्ञ और आध्यात्मिक सत्संग का लाभ ले रहे हैं।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि आज का युग तकनीक से संचालित है। मोबाइल,इंटरनेट,आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और सोशल मीडिया बच्चों की दुनिया का हिस्सा बन चुके हैं। डिजिटल युग में बच्चों के पास सूचनाओं की कोई कमी नहीं है, एक क्लिक में विश्वभर का ज्ञान उपलब्ध है परंतु प्रश्न यह है कि इस जानकारी की दिशा क्या है? क्या यह ज्ञान उन्हें केवल बाहरी सफलता दे रहा है,या उनके भीतर मूल्यों और संस्कारों की गहराई भी दे रहा है?स्वामी जी ने कहा कि आज की शिक्षा प्रणाली दिन-प्रतिदिन डिजिटल होती जा रही है लेकिन आवश्यकता इस बात की है कि हम तकनीक से बच्चों का बौद्धिक विकास करें और साथ ही सनातन संस्कृति,भारतीय जीवनमूल्यों,अध्यात्म और नैतिक शिक्षाओं से उनके मन,मस्तिष्क और आत्मा का पोषण भी करें। यही समय की मांग है। बच्चों को दिशा देना, विवेक देना और सही-गलत में भेद करने की समझ देना जरूरी है।इसके लिए रामायण,महाभारत,गीता,वेद-उपनिषद तथा पूज्य संतों व महापुरुषों की जीवनी अत्यंत उपयोगी हो सकती हैं। यही ग्रंथ उन्हें सच्चे अर्थों में चरित्रवान बनाते हैं। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि बच्चों को केवल सूचना नहीं,दृष्टि दीजिए। टेक्नोलॉजी उनके हाथ में है,लेकिन संस्कृति उनके हृदय में होनी चाहिए।यदि बच्चों को सनातन संस्कृति के बीज दिए जाएं,तो वे स्वयं आगे चलकर संस्कारित समाज का वृक्ष बनेंगे। यही उज्ज्वल भारत का आधार है। बच्चों को आधुनिकता की उड़ान और संस्कृति की जड़ दोनों दें।यही संतुलन उन्हें न केवल व्यक्तिगत रूप से सफल बनाएगा, बल्कि भारत को भी एक समरस,संस्कारित और सशक्त राष्ट्र बनाएगा।श्रीमद् भागवत कथा का यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक ऊर्जा का स्रोत है,बल्कि आज की पीढ़ी को धर्म,ज्ञान और विवेक का सार सिखाने का प्रेरणादायक मंच भी है।


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