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सही आहार ही सही विचार और स्वस्थ राष्ट्र की आधारशिला-स्वामी चिदानन्द सरस्वती


ऋषिकेश। राष्ट्रीय पोषण सप्ताह के अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने अपने संदेश में कहा कि सात्विक,संतुलित और शुद्ध भोजन जीवन की संजीवनी है। यह शरीर को ऊर्जा,बल और रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रदान करता है,वहीं मन को शांति और आत्मा को निर्मलता का अनुभव कराता है। आहार,आयु और आरोग्य का आधार है। वास्तव में, सात्विक आहार ही स्वस्थ जीवन और सशक्त राष्ट्र की कुंजी है।भारत में प्रतिवर्ष 1 से 7 सितम्बर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है।वर्ष 2025 की थीम है“सही खाओ,उत्तम जीवन पाओ।”यह केवल एक नारा नहीं,बल्कि जीवन जीने की संजीवनी है।इस सप्ताह का मुख्य उद्देश्य समाज के प्रत्येक वर्ग में संतुलित और पौष्टिक आहार के महत्व को रेखांकित करना,कुपोषण की चुनौतियों का समाधान करना तथा जीवनशैली-जनित रोगों से बचाव हेतु जन-जागरूकता फैलाना है।भारत आज भी कुपोषण,एनीमिया और मोटापे जैसी स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहा है।ऐसे में यह अभियान एक सामूहिक प्रयास है,जो स्वस्थ भारत,समर्थ भारत के निर्माण की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।आज जब आधुनिक जीवनशैली में फास्ट फूड,जंक फूड और प्रसंस्कृत भोजन का चलन बढ़ा है।ऐसे में जरूरी है कि युवा पीढ़ी को जागरूक करें कि सच्चा स्वास्थ्य संतुलित,सात्विक और शुद्ध आहार में ही निहित है।हमारे शास्त्रों में बताया है कि आहार“आयु,बल,आरोग्य और सुख का मूल”है।चरक संहिता में कहा गया है आहारसम्भवो वृत्तःअर्थात् हमारी स्थिति और स्वास्थ्य,आहार पर ही निर्भर है।सात्विक आहार शरीर को शक्ति और मन को शांति प्रदान करता है।आधुनिक विज्ञान भी पुष्टि करता है कि विविध अनाज दालें,हरी पत्तेदार सब्जियाँ,सूखे मेवे और पर्याप्त जल का सेवन करने से मोटापा,मधुमेह,रक्तचाप और हृदय रोग जैसी जीवनशैली-जनित बीमारियों को रोका जा सकता है। जब हम सात्विक और पौष्टिक आहार ग्रहण करते हैं,तो न केवल अपने शरीर को स्वस्थ रखते हैं,बल्कि मन,आत्मा और संपूर्ण जीवन को ऊर्जावान बनाते हैं।यही कारण है कि योग और ध्यान की साधना में सात्विक आहार को सर्वाेच्च स्थान दिया गया है।स्वस्थ शरीर में ही स्वस्थ मन और स्वस्थ राष्ट्र का निर्माण सम्भव है,इसलिए आहार को केवल भूख मिटाने का साधन न मानें,बल्कि उसे जीवन की पवित्र साधना समझकर अपनाएँ। 

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