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शांतिकुंज पहुंचे वैश्विक शांति दूत अब्दुल्ला अल मन्नई का स्वागत किया


हरिद्वार। अखिल विश्व गायत्री परिवार मुख्यालय शांतिकुंज एवं देवसंस्कृति विश्वविद्यालय पहुंचे बहरीन स्थित द किंग हमद ग्लोबल सेंटर फॉर पीसफुल को-एग्ज़िस्टेंस के कार्यकारी निदेशक अब्दुल्ला अल मन्नई का गायत्री परिवार के प्रतिनिधि एवं देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डा.चिन्मय पंड्या ने स्वागत किया।डा.पंड्या ने बताया कि शांतिकुंज और विश्वविद्यालय पूज्य गुरुदेव पं.श्रीराम शर्मा आचार्य के मार्गदर्शन में विश्व शांति,नैतिकता और सांस्कृतिक समरसता को बढ़ावा देने के लिए निरंतर कार्यरत हैं।अब्दुल्ला अल मन्नई ने शांतिकुंज एवं वि0वि0 परिसर का अवलोकन किया और वहां चल रहे शैक्षिक,आध्यात्मिक और सामाजिक प्रकल्पों की प्रशंसा की।उन्होंने कहा कि ये संस्थाएं आज की दुनिया के लिए मानवता की प्रेरणास्रोत हैं,जो युवाओं को अच्छे विचारों और संस्कारों से जोड़ रही हैं।अब्दुल्ला अल मन्नई ने विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों से आत्मीय संवाद किया।उन्होंने युवाओं की ऊर्जा और चिंतन की सराहना करते हुए कहा कि ये केवल भारत के ही नहीं, बल्कि भविष्य के वैश्विक नेता हैं,जो विश्व में शांति,सहअस्तित्व और सहयोग की नई नींव रखेंगे।अब्दुल्ला अल मन्नई ने देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में आयोजित उन्नयन समारोह में भी भाग लिया।यह समारोह नवप्रवेशी विद्यार्थियों के स्वागत का सांस्कृतिक उत्सव है,जिसमें भारतीय परंपराओं और मूल्यों का जीवंत प्रदर्शन हुआ।सांस्कृतिक प्रस्तुतियों और पारंपरिक अनुष्ठानों को देखकर अब्दुल्ला अल मन्नई ने भारतीय संस्कृति की गहराई और उसकी वैश्विक प्रासंगिकता की सराहना की।कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डा.चिन्मय पंड्या ने कहा कि भारत और बहरीन के संबंध केवल कूटनीतिक स्तर तक सीमित नहीं हैं,बल्कि वे सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरातल पर भी गहराई से जुड़े हुए हैं।इस दौरान उन्होंने बहरीन स्थित लगभग 220वर्षों पुराने श्रीनाथजी मंदिर का उल्लेख करते हुए कहा कि अब्दुल्ला अल मन्नई ने इस ऐतिहासिक मंदिर के संरक्षण में सराहनीय योगदान दिया है जो कि भक्ति,सांस्कृतिक धरोहर और अंतरधार्मिक सौहार्द्र का प्रतीक है।उन्होंने कहा कि यही भारतीय संस्कृति का शाश्वत संदेश है,जो आज की विश्वव्यापी चुनौतियों के समाधान में भी पथप्रदर्शक सिद्ध हो सकता है।इस अवसर पर मन्नई ने उल्लेख किया कि अखिल विश्व गायत्री परिवार और देवसंस्कृति विश्वविद्यालय विद्यार्थियों को केवल शिक्षा प्रदान नहीं कर रहे हैं,बल्कि विद्यार्थियों में नैतिकता,सेवा-भाव,और विश्वबंधुत्व के संस्कारों को भी रोपित कर रहे हैं।

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