ऋषिकेश। गोस्वामी तुलसीदासजी की जयंती के पर माँ गंगा के पावन तट परमार्थ निकेतन से उस युगद्रष्टा संत,महान कवि और सनातन संस्कृति के संवाहक को श्रद्धापूर्वक नमन करते हुये आज की दिव्य गंगा आरती समर्पित की।स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कहा कि गोस्वामी तुलसीदास जी की लेखनी ने न केवल श्रीरामकथा को जन-जन तक पहुँचाया,बल्कि सम्पूर्ण भारतीय समाज की आत्मा को नवचेतना प्रदान की।गोस्वामी तुलसीदास जी का जीवन और काव्य सृजन एक ऐसे आलोक स्तम्भ के समान है,जो युगों-युगों तक मानवता को धर्म, करुणा ,सेवा,संयम और कर्तव्य का पथ दिखाते रहेंगे।उन्होंने जिस भाव भाषा में श्रीराम जी की गाथा को प्रस्तुत किया वह अवधी भाषा उस काल में लोक की भाषा थी। उन्होंने संस्कृत के गूढ़ तत्वों को सरल बना कर जनसामान्य तक पहुँचाया।श्रीरामचरितमानस केवल धार्मिक ग्रंथ ही नहीं बल्कि भारतीय जीवनमूल्यों की जीवन्त पाठशाला है।गोस्वामी तुलसीदास जी द्वारा रचित कालजयी रचना“श्रीरामचरितमानस”भारतीय साहित्य की वह अमर धरोहर है,जिसमें केवल रामकथा ही नहीं,बल्कि भारत की आत्मा बसती है।यह ग्रंथ त्याग,तप,प्रेम,भक्ति,मर्यादा, करुणा और राष्ट्र धर्म का प्रतिरूप ह...
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